मध्य प्रदेश की जनजातिया

मध्य प्रदेश की जनजातियाँ: संपूर्ण जानकारी

मध्य प्रदेश में भारत की दूसरी सबसे बड़ी जनजातीय आबादी निवास करती है। यहाँ कुल 46 अधिसूचित जनजातियाँ हैं, जिनमें 3 विशेष पिछड़ी जनजातियाँ (बैगा, सहरिया, भारिया) शामिल हैं। राज्य की कुल जनसंख्या में आदिवासियों की हिस्सेदारी लगभग 21.1% (2011 जनगणना) है।


1. प्रमुख जनजातियाँ और उनका वितरण

1.1 भील जनजाति

  • जिले – झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा
  • बोली – भीली, निमाड़ी
  • संस्कृति – कृषि आधारित जीवनशैली, तीरंदाजी में निपुण
  • नृत्य – भगोरिया नृत्य, गवरी नृत्य
  • संगीत – ढोल, मांदल, थाली का प्रयोग
  • पहनावा – पुरुष धोती-कुर्ता, महिलाएँ घाघरा-चोली
  • त्योहार – भगोरिया हाट, गणगौर
  • लोक साहित्य – भीली लोककथाएँ और पिथोरा चित्रकला
  • लोकगीत – गवरी गीत, भीली विवाह गीत
  • जनसंख्या – मध्य प्रदेश में सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति

1.2 गोंड जनजाति

  • जिले – मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, सिवनी
  • बोली – गोंडी
  • संस्कृति – प्रकृति पूजक, पेन गोंड देवी-देवताओं की पूजा
  • नृत्य – गोंडी नृत्य, कर्मा नृत्य
  • संगीत – तुंबा, मांदल
  • पहनावा – पुरुष धोती-कुर्ता, महिलाएँ साड़ी
  • त्योहार – दशहरा, मड़ई
  • लोक साहित्य – गोंड पेंटिंग, वीर कथा गाथाएँ
  • लोकगीत – सुवा गीत, करमा गीत
  • जनसंख्या – दूसरी सबसे बड़ी जनजाति

1.3 बैगा जनजाति (विशेष पिछड़ी जनजाति)

  • जिले – डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, अनूपपुर
  • बोली – बैगानी
  • संस्कृति – झूम खेती, प्राकृतिक चिकित्सा में निपुण
  • नृत्य – बैगा नृत्य, करमा नृत्य
  • संगीत – पारंपरिक ढोलक, मृदंग
  • पहनावा – पुरुष धोती, महिलाएँ पारंपरिक गहनों के साथ साड़ी
  • त्योहार – हरेली, छेरता, दशहरा
  • लोक साहित्य – वन देवी-कथाएँ, स्थानीय देवी-देवताओं की गाथाएँ
  • लोकगीत – करमा गीत, सुवा गीत
  • जनसंख्या – विशेष पिछड़ी जनजाति में प्रमुख

1.4 कोरकू जनजाति

  • जिले – बैतूल, होशंगाबाद, खंडवा, हरदा
  • बोली – कोरकू
  • संस्कृति – कृषि और वनोपज पर आधारित
  • नृत्य – सैलाब, करमा नृत्य
  • संगीत – मांदल, ढोलक
  • पहनावा – पुरुष धोती-कुर्ता, महिलाएँ घाघरा-चोली
  • त्योहार – हरेली, पोला, दिवाली
  • लोक साहित्य – कोरकू लोक कथाएँ
  • लोकगीत – कृषि गीत, त्योहारी गीत
  • जनसंख्या – बैतूल और होशंगाबाद में प्रमुख जनजाति

1.5 सहरिया जनजाति (विशेष पिछड़ी जनजाति)

  • जिले – शिवपुरी, गुना, मुरैना, ग्वालियर
  • बोली – सहरिया
  • संस्कृति – शिकार और वन उत्पादों पर निर्भरता
  • नृत्य – टेराटाली नृत्य
  • संगीत – ढोलक, थाली
  • पहनावा – पुरुष धोती, महिलाएँ घाघरा-चोली
  • त्योहार – दीवाली, दशहरा
  • लोक साहित्य – वीर गाथाएँ
  • लोकगीत – देवी-देवता संबंधी गीत
  • जनसंख्या – विशेष पिछड़ी जनजाति

1.6 भारिया जनजाति (विशेष पिछड़ी जनजाति)

  • जिले – पातालकोट (छिंदवाड़ा), बैतूल
  • बोली – भारिया
  • संस्कृति – वनों में निवास, प्राकृतिक चिकित्सा
  • नृत्य – करमा, सुवा
  • संगीत – मांदल, ढोल
  • पहनावा – पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा
  • त्योहार – दिवाली, होली
  • लोक साहित्य – स्थानीय देवी-देवताओं की गाथाएँ
  • लोकगीत – फसल और प्रकृति से जुड़े गीत
  • जनसंख्या – बहुत कम

2. मध्य प्रदेश की आदिवासी कला और परंपराएँ

  1. भील और गोंड चित्रकला – भील पिथोरा चित्रकला और गोंड जनजाति की पेंटिंग विश्व प्रसिद्ध हैं।
  2. डोकरा कला – धातु शिल्पकला, विशेष रूप से गोंड और बैगा जनजातियों द्वारा बनाई जाती है।
  3. माटी कला (मृदा शिल्प) – बैगा और कोरकू जनजातियों द्वारा उपयोग किया जाता है।
  4. हथकरघा और वस्त्र कला – महेश्वरी और चंदेरी वस्त्रों पर आदिवासी कशीदाकारी होती है।
  5. नंदना प्रिंट – निमाड़ क्षेत्र की विशेष बाग प्रिंट कला।

3. MPPSC के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

  1. मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति भील है।
  2. सबसे अधिक जनजातीय आबादी वाले जिले – झाबुआ, अलीराजपुर, मंडला, डिंडोरी, बालाघाट।
  3. विशेष पिछड़ी जनजातियाँ – बैगा, सहरिया, भारिया।
  4. भगोरिया हाट – भील जनजाति का प्रमुख पर्व।
  5. गोंड जनजाति की प्रसिद्ध चित्रकला – गोंड पेंटिंग।
  6. बैगा जनजाति झूम खेती करती है।
  7. सहरिया जनजाति का संबंध शिकार और वन उत्पादों से रहा है।
  8. झाबुआ और अलीराजपुर भगोरिया महोत्सव के लिए प्रसिद्ध हैं।
  9. गोंड जनजाति दशहरा को विशेष रूप से मनाती है।
  10. भारिया जनजाति पातालकोट में निवास करती है।

अगर आपको किसी विशेष जनजाति की और गहन जानकारी चाहिए तो बता सकते हैं!

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