मध्य प्रदेश, जिसे “भारत का हृदय” कहा जाता है, भौगोलिक दृष्टि से भारत के केंद्र में स्थित है। इसका भूगोल विविधता से भरपूर है, जिसमें नदियाँ, पहाड़, वन, खनिज, कृषि, जलवायु और जनसंख्या से जुड़े विभिन्न पहलू शामिल हैं।
भौगोलिक स्थिति और संरचना
मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल 3,08,350 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बनाता है। इसकी सीमाएँ उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, पश्चिम में राजस्थान, और दक्षिण में महाराष्ट्र से मिलती हैं। यह राज्य विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वतमालाओं के बीच स्थित है, जो इसे भौगोलिक रूप से एक पठारी राज्य बनाता है।
वन और वन्य जीवन
मध्य प्रदेश भारत के सबसे घने और विस्तृत वनों वाला राज्य है। राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 30% भाग वनों से आच्छादित है। यहाँ साल, टीक, सागौन, बांस और अन्य औषधीय पौधों की प्रचुरता है। कान्हा, बांधवगढ़, पेंच और सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान यहाँ के प्रमुख वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र हैं, जो बाघ, बारहसिंगा, गौर, चीतल और अन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध हैं।
नदियाँ और जल संसाधन
राज्य में अनेक महत्वपूर्ण नदियाँ बहती हैं, जिनमें नर्मदा, चंबल, ताप्ती, सोन, बेतवा और शिप्रा प्रमुख हैं। नर्मदा मध्य प्रदेश की जीवनरेखा मानी जाती है और यह राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नदी है। ये नदियाँ कृषि और पेयजल आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
पर्वत और खनिज संसाधन
मध्य प्रदेश की प्रमुख पर्वतमालाएँ सतपुड़ा, विंध्याचल और मैकाल श्रेणी हैं। इन पर्वतों में चूना पत्थर, बॉक्साइट, हीरा, कोयला, लौह अयस्क और तांबे जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। पन्ना जिला भारत में हीरा उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, जबकि कोयले की खदानें सिंगरौली और उमरिया में स्थित हैं।
जलवायु और कृषि
मध्य प्रदेश की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है। ग्रीष्म ऋतु में तापमान 45°C तक पहुँच सकता है, जबकि सर्दियों में यह 5°C तक गिर जाता है। राज्य में जून से सितंबर तक दक्षिण-पश्चिमी मानसून से वर्षा होती है। कृषि यहाँ का मुख्य व्यवसाय है, और गेहूँ, सोयाबीन, चना, ज्वार, मक्का, धान, कपास, सरसों आदि मुख्य फसलें हैं।
सिंचाई और सिंचाई परियोजनाएँ
मध्य प्रदेश में सिंचाई के लिए नहरें, कुएँ, नलकूप और जलाशय प्रमुख स्रोत हैं। इंदिरा सागर, गांधी सागर, बरगी, बाणसागर और तवा बाँध प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ हैं, जो कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक हैं।
ऊर्जा संसाधन और गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत
राज्य में तापीय, जलविद्युत और पवन ऊर्जा परियोजनाएँ कार्यरत हैं। सिंगरौली और सारनी में थर्मल पावर प्लांट हैं, जबकि गांधी सागर, बरगी और इंदिरा सागर जलविद्युत परियोजनाएँ हैं। गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायोगैस परियोजनाओं को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
उद्योग और आर्थिक गतिविधियाँ
मध्य प्रदेश में विभिन्न प्रकार के उद्योग विकसित हुए हैं। पीथमपुर, मालनपुर, मंदसौर, ग्वालियर और भोपाल प्रमुख औद्योगिक केंद्र हैं। राज्य में ऑटोमोबाइल, कपड़ा, सीमेंट, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्युटिकल, और कृषि आधारित उद्योग विकसित हुए हैं। जबलपुर में रक्षा उत्पादन से जुड़े उद्योग भी कार्यरत हैं।
जनसंख्या वृद्धि, वितरण और घनत्व
2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश की जनसंख्या लगभग 7.26 करोड़ थी। यहाँ की जनसंख्या वृद्धि दर 20% के करीब थी। राज्य का जनसंख्या घनत्व लगभग 236 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है।
नगरीकरण और शहरीकरण
राज्य में शहरीकरण की गति धीमी है, लेकिन भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन जैसे शहर तेजी से विकसित हो रहे हैं। इंदौर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे अधिक विकसित शहर है, जबकि भोपाल राज्य की राजधानी और प्रशासनिक केंद्र है।
मध्य प्रदेश का भूगोल इसकी प्राकृतिक संपदा, कृषि, खनिज और औद्योगिक विकास के कारण भारत के सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक बनाता है।