मध्य पाषाण काल

मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age) का विस्तृत विवरण

समय अवधि:
मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age), 12000 ईसा पूर्व से 8000 ईसा पूर्व के बीच माना जाता है। यह पुरापाषाण काल (Paleolithic Age) और नवपाषाण काल (Neolithic Age) के बीच की संक्रमणकालीन अवधि थी।

स्थान:
मध्य पाषाण काल के प्रमाण भारत, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में मिले हैं। भारत में इसके अवशेष मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, और कर्नाटक में मिले हैं।


मध्य पाषाण काल के उपभाग

मध्य पाषाण काल को तीन भागों में बाँटा जाता है:

  1. प्रारंभिक मध्य पाषाण काल (Early Mesolithic) – लगभग 12000-10000 ईसा पूर्व
  2. मध्य मध्य पाषाण काल (Middle Mesolithic) – लगभग 10000-9000 ईसा पूर्व
  3. उत्तर मध्य पाषाण काल (Late Mesolithic) – लगभग 9000-8000 ईसा पूर्व

मध्य पाषाण काल की विशेषताएँ

  1. छोटे औजारों का विकास (Microliths):
    • इस काल में माइक्रोलिथ्स (छोटे पत्थर के औजार) बनाए गए, जो तीर, भाले, छुरी और नुकीले औजारों के रूप में उपयोग किए जाते थे।
    • ये औजार अधिक परिष्कृत और तेज़ थे।
  2. शिकार और भोजन संग्रहण:
    • मनुष्य अब केवल शिकार पर निर्भर नहीं था, बल्कि मछली पकड़ना, फल और अनाज एकत्र करना भी सीख गया था।
    • कुछ स्थानों पर प्रारंभिक कृषि और पशुपालन के संकेत भी मिले हैं।
  3. गुफा चित्रकला (Rock Paintings):
    • इस काल में भीमबेटका (मध्य प्रदेश) और लखजोअर (उत्तर प्रदेश) जैसी जगहों पर गुफाओं की दीवारों पर चित्र बनाए गए।
    • ये चित्र मुख्यतः शिकार, नृत्य, जानवरों और दैनिक जीवन को दर्शाते हैं।
  4. प्रारंभिक पशुपालन और कृषि:
    • मनुष्यों ने कुत्ते, भेड़, बकरी और गाय जैसे पशुओं को पालना शुरू किया।
    • प्रारंभिक स्तर पर जौ, गेहूँ जैसी फसलों की खेती के प्रमाण मिले हैं।
  5. नवीन बसाहटें और अर्ध-स्थायी जीवन:
    • लोग अब झोपड़ियों में रहने लगे और अस्थायी बस्तियाँ बनने लगीं।
    • कुछ क्षेत्रों में स्थायी निवास का प्रारंभ भी देखा गया।
  6. मृतकों का अंतिम संस्कार:
    • इस काल में समाधि देने की प्रथा विकसित हुई, जिससे यह संकेत मिलता है कि लोग मृत्यु के बाद के जीवन में विश्वास करने लगे थे।
  7. समुदायों और जनसंख्या का विस्तार:
    • लोग छोटे-छोटे जनसमूहों में संगठित होने लगे।
    • जनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी, जिससे समुदायों का निर्माण हुआ।

मध्य पाषाण काल से जुड़ी सामान्य ज्ञान की बातें

  1. भारत में मध्य पाषाण काल के प्रमुख स्थल: भीमबेटका (मध्य प्रदेश), बागोर (राजस्थान), आदमगढ़ (मध्य प्रदेश), सराय नाहर राय (उत्तर प्रदेश), लंगनाज (गुजरात)।
  2. इस काल के औजार: माइक्रोलिथ्स, धनुष-बाण, पत्थर के छोटे धारदार टुकड़े, हड्डी और लकड़ी के औजार।
  3. भीमबेटका (मध्य प्रदेश) के गुफा चित्र इस काल की प्रमुख कलाकृतियों में गिने जाते हैं।
  4. नवीन बसाहटों का विकास हुआ, जिससे आगे चलकर कृषि क्रांति (Neolithic Revolution) का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  5. शिकार और मछली पकड़ने के साथ-साथ प्रारंभिक कृषि और पशुपालन की शुरुआत हुई।
  6. समाज अधिक संगठित होने लगा, जिससे आगे चलकर सभ्यताओं का विकास हुआ।
  7. मृतकों के दफनाने की प्रथा विकसित हुई, जिससे यह संकेत मिलता है कि लोग आत्मा और परलोक में विश्वास करने लगे थे।
  8. नृत्य, संगीत और कला की शुरुआत इसी काल में हुई थी।
  9. यह काल मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह कृषि और स्थायी निवास की ओर पहला कदम था।
  10. यह काल नवपाषाण युग (Neolithic Age) की नींव रखता है, जिससे आगे चलकर स्थायी समाजों और नगरों का विकास हुआ।

निष्कर्ष:
मध्य पाषाण काल, मानव सभ्यता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण युग था, जिसने शिकार से कृषि, घुमंतू जीवन से स्थायी बसाहट, और छोटे औजारों से परिष्कृत औजारों की ओर विकास का मार्ग प्रशस्त किया। यह काल सभ्यता की ओर बढ़ता पहला कदम था।

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