मंगलयान (Mars Orbiter Mission – MOM): भारत का पहला मंगल मिशन
1. मिशन की शुरुआत और उद्देश्य
मंगलयान (Mars Orbiter Mission – MOM) भारत का पहला मंगल अन्वेषण मिशन था, जिसे ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) द्वारा विकसित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य मंगल ग्रह के वातावरण, सतह और जलवायु का अध्ययन करना था।
2. प्रक्षेपण और समयरेखा
- प्रक्षेपण की तारीख: 5 नवंबर 2013
- प्रक्षेपण स्थल: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)
- प्रक्षेपण यान: PSLV-C25 (Polar Satellite Launch Vehicle)
- मंगल की कक्षा में प्रवेश: 24 सितंबर 2014
- कुल समय: लगभग 298 दिन
3. मिशन के प्रमुख उद्देश्य
- मंगल ग्रह के वायुमंडल और जलवायु का अध्ययन।
- मंगल की सतह और उसके खनिजों की संरचना का विश्लेषण।
- मंगल के चारों ओर मीथेन गैस की उपस्थिति का पता लगाना, जिससे वहां जीवन की संभावना का अध्ययन किया जा सके।
- मंगल की धूल भरी आंधियों और मौसम में होने वाले बदलावों को समझना।
4. मंगलयान के वैज्ञानिक उपकरण और खोजें
इस मिशन में कुल 5 वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए थे, जो निम्नलिखित कार्य कर रहे थे:
- Methane Sensor for Mars (MSM): मंगल के वातावरण में मीथेन की उपस्थिति की खोज करना।
- Thermal Infrared Imaging Spectrometer (TIS): मंगल की सतह के तापमान का अध्ययन करना।
- Mars Color Camera (MCC): मंगल की उच्च-गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेना।
- Lyman Alpha Photometer (LAP): मंगल के ऊपरी वायुमंडल में हाइड्रोजन और ड्यूटेरियम के अनुपात को मापना।
- Mars Exospheric Neutral Composition Analyzer (MENCA): मंगल के बाहरी वायुमंडल के संघटन का विश्लेषण करना।
5. मंगलयान की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ
- भारत पहला ऐसा देश बना जिसने अपने पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में उपग्रह स्थापित कर दिया।
- भारत एशिया का पहला और विश्व का चौथा देश बना जिसने मंगल मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया (अमेरिका, रूस, और यूरोपीय संघ के बाद)।
- मंगल की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें भेजीं, जिससे वहां की सतह और धूल भरी आंधियों का अध्ययन किया गया।
- मंगल पर जलवायु और वायुमंडल में मौजूद गैसों के बारे में महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त किया।
6. मिशन से जुड़े प्रमुख व्यक्ति
- ISRO प्रमुख: डॉ. के. राधाकृष्णन
- मिशन निदेशक: एस. अरुणन
- प्रोजेक्ट निदेशक: एम. अन्नादुरई
7. मिशन की लागत और अवधि
- मिशन की कुल लागत: 450 करोड़ रुपये (यह दुनिया का सबसे सस्ता मंगल मिशन था)।
- मंगल की कक्षा में कार्य करने की अनुमानित अवधि: 6 महीने
- वास्तविक संचालन अवधि: लगभग 8 साल (सितंबर 2022 तक डेटा भेजता रहा)
8. मंगलयान की समाप्ति और भविष्य की योजनाएँ
- सितंबर 2022 में, मंगलयान ने संचार बंद कर दिया, जिससे इसका मिशन समाप्त हो गया।
- इस मिशन की सफलता के बाद, भारत ने Mangalyaan-2 की योजना बनाई है, जो भविष्य में लॉन्च किया जाएगा।
निष्कर्ष
मंगलयान भारत का सबसे सफल और ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन था, जिसने भारत को मंगल मिशन में एक अग्रणी स्थान दिलाया। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की विश्वसनीयता और तकनीकी दक्षता को भी साबित करने वाला था। इसकी सफलता ने भारत को “Budget Space Superpower” की पहचान दिलाई।