फिरोज शाह तुगलक (1351-1388 ई.)
1. परिचय:
फिरोज शाह तुगलक तुगलक वंश का तीसरा सुल्तान था। वह मोहम्मद बिन तुगलक का चचेरा भाई और उत्तराधिकारी था। उसकी नीति प्रशासनिक सुधारों, सार्वजनिक कल्याण, इस्लामिक कानूनों और स्थापत्य कला के संरक्षण पर केंद्रित थी।
2. परिवार और राज्यारोहण
- पिता: राजाब तुगलक
- वंश: तुगलक वंश
- गद्दी प्राप्ति: मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद, 1351 ई. में फिरोज शाह तुगलक दिल्ली का सुल्तान बना।
3. साम्राज्य का विस्तार और प्रशासन
- उसके शासनकाल में दिल्ली सल्तनत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, सिंध और गुजरात तक फैली हुई थी।
- उसने अधिक युद्धों में भाग नहीं लिया, बल्कि प्रशासनिक सुधारों और निर्माण कार्यों पर ध्यान दिया।
- उसने जिजिया कर को गैर-मुसलमानों पर सख्ती से लागू किया।
- दीवान-ए-बंदगान नामक दास विभाग की स्थापना की।
- इक्ता प्रणाली को व्यवस्थित किया और जागीरदारी व्यवस्था को मजबूत किया।
4. युद्ध और विद्रोह
- बंगाल और सिंध के विद्रोहों को दबाया।
- जौनपुर को अपने साम्राज्य में मिलाया।
- गुजरात और मध्य प्रदेश में विद्रोहों का सामना किया।
- राजस्थान में रणथंभौर और नागौर पर नियंत्रण बनाए रखा।
5. साहित्य और किताबें
- फिरोज शाह तुगलक की आत्मकथा: “फुतुहात-ए-फिरोजशाही”
- जियाउद्दीन बरनी: “तारीख-ए-फिरोजशाही”
- शम्स-ए-सिराज अफीफ: “तारीख-ए-फिरोजशाही” (फिरोज शाह के शासनकाल का विस्तृत विवरण)
6. स्थापत्य कला और निर्माण कार्य
फिरोज शाह तुगलक को भवन निर्माण और शहर बसाने का विशेष शौक था। उसने कई किले, मस्जिदें, महल और नहरें बनवाईं।
महत्वपूर्ण निर्माण कार्य:
- फिरोजाबाद (1360 ई.) – दिल्ली में एक नया शहर बसाया, जिसे आज फिरोजशाह कोटला कहा जाता है।
- कुतुब मीनार का पुनरुद्धार – क्षतिग्रस्त कुतुब मीनार की मरम्मत करवाई।
- हौज खास का पुनर्निर्माण – अलाउद्दीन खिलजी द्वारा बनाए गए जलाशय को पुनर्स्थापित किया।
- जामी मस्जिद, दिल्ली – इस्लामिक स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण।
- हिसार-ए-फिरोजा – हरियाणा में नया शहर बसाया।
- सुल्तानगढ़ी मकबरा – दिल्ली में निर्मित।
- नहर निर्माण – यमुना, सतलुज और घग्गर नदियों से सिंचाई के लिए नहरें बनवाईं।
7. विशेष व्यक्ति और सहयोगी
- जियाउद्दीन बरनी – इतिहासकार, जिसने तुगलक वंश के शासन का वर्णन किया।
- शम्स-ए-सिराज अफीफ – फिरोज शाह का दरबारी इतिहासकार।
- मौलाना जलालुद्दीन रूमी – इस्लामी विचारधारा को प्रभावित करने वाले विद्वान।
8. धार्मिक और सामाजिक कार्य
- हिंदू मंदिरों को नष्ट किया और जबरन इस्लाम धर्म प्रचार किया।
- शराब और मांसाहार पर प्रतिबंध लगाया।
- दास प्रथा को बढ़ावा दिया और बड़ी संख्या में गुलामों की भर्ती की।
- गरीबों, विधवाओं और अनाथों के लिए सहायता केंद्र खोले।
9. मृत्यु और निष्कर्ष
1388 ई. में फिरोज शाह तुगलक की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के बाद तुगलक वंश कमजोर हो गया और अंततः दिल्ली सल्तनत पर सैय्यद वंश का शासन स्थापित हो गया।
फिरोज शाह तुगलक का शासन अपने निर्माण कार्यों, प्रशासनिक सुधारों और इस्लामी कानूनों की सख्ती से पालन करने के लिए जाना जाता है। हालाँकि, उसने कठोर धार्मिक नीतियाँ अपनाईं, जिससे हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम समुदायों में असंतोष बढ़ा।