पृथ्वीराज चौहान: अंतिम हिंदू सम्राट
1. परिचय
- पूरा नाम: पृथ्वीराज तृतीय (पृथ्वीराज चौहान)
- जन्म: 1166 ई. (अजमेर, राजस्थान)
- मृत्यु: 1192 ई. (तराइन का दूसरा युद्ध)
- राज्याभिषेक: 1177 ई.
- राजधानी: अजमेर और दिल्ली
- वंश: चौहान वंश (राजपूत)
- पिता: सोमेश्वर चौहान
- माता: कर्पूरदेवी
- पत्नी: संयोगिता (कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री)
- उत्तराधिकारी: गोविंदराज चौहान
पृथ्वीराज चौहान 12वीं शताब्दी के सबसे शक्तिशाली राजपूत शासकों में से एक थे। वे चौहान वंश के शासक थे और दिल्ली तथा अजमेर पर शासन करते थे। उन्होंने गोरी वंश और अन्य राजपूत राज्यों से कई युद्ध लड़े।
2. पृथ्वीराज चौहान के साम्राज्य का विस्तार
उनका साम्राज्य वर्तमान राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक फैला था।
(क) प्रमुख क्षेत्र:
- राजस्थान: अजमेर, रणथंभौर, चित्तौड़
- दिल्ली: चौहान वंश के दौरान दिल्ली पर नियंत्रण
- हरियाणा: हांसी, हिसार, थानेसर
- पंजाब: सतलुज और ब्यास नदी तक क्षेत्र
- उत्तर प्रदेश: मेरठ, आगरा, कन्नौज के आसपास के क्षेत्र
- मध्य प्रदेश: ग्वालियर के कुछ हिस्से
3. पृथ्वीराज चौहान द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध
(क) चाहमान-गहड़वाल संघर्ष (संयोगिता स्वयंवर, 1185)
- कन्नौज के राजा जयचंद ने अपनी पुत्री संयोगिता का स्वयंवर रखा, लेकिन पृथ्वीराज से विवाह नहीं करवाना चाहता था।
- पृथ्वीराज ने संयोगिता का अपहरण किया और उससे विवाह किया, जिससे जयचंद शत्रु बन गया।
(ख) महमूद ग़ोरी से युद्ध
(1) तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई.)
- महमूद ग़ोरी (ग़ोरी वंश, अफगानिस्तान) ने भारत पर हमला किया।
- युद्ध हरियाणा के तराइन (तारावड़ी) में हुआ।
- पृथ्वीराज चौहान ने महमूद ग़ोरी को हराया और उसे छोड़ दिया।
- यह एक बड़ी गलती साबित हुई।
(2) तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई.)
- ग़ोरी ने फिर से हमला किया और जयचंद जैसे राजाओं ने पृथ्वीराज का साथ नहीं दिया।
- इस बार पृथ्वीराज हार गए और उन्हें बंदी बना लिया गया।
- ग़ोरी ने पृथ्वीराज को अंधा कर दिया और बाद में उन्हें मार डाला।
4. पृथ्वीराज चौहान से जुड़े प्रमुख व्यक्ति
- संयोगिता – उनकी पत्नी, जिनसे प्रेम विवाह किया।
- जयचंद गहड़वाल – कन्नौज का राजा, जिसने पृथ्वीराज का विरोध किया।
- महमूद ग़ोरी – ग़ोरी वंश का शासक, जिसने पृथ्वीराज को हराया।
- चंदबरदाई – पृथ्वीराज के दरबारी कवि, जिन्होंने “पृथ्वीराज रासो” लिखी।
5. पृथ्वीराज चौहान के समय लिखी गई किताबें और साहित्य
(क) “पृथ्वीराज रासो” (चंदबरदाई)
- यह एक महाकाव्य है, जो पृथ्वीराज चौहान के जीवन, युद्धों और प्रेम कथा का वर्णन करता है।
- इसमें बताया गया है कि अंधे होने के बावजूद पृथ्वीराज ने तीर चलाकर ग़ोरी को मार दिया।
- यह पुस्तक ब्रज भाषा में लिखी गई है।
(ख) संस्कृत साहित्य और अन्य ग्रंथ
- पृथ्वीराज के दरबार में कई विद्वान और कवि थे।
- उनके शासनकाल में संस्कृत और हिंदी साहित्य का विकास हुआ।
6. पृथ्वीराज चौहान के समय की स्थापत्य कला
(क) प्रमुख भवन और किले
- अजमेर का तारागढ़ किला – राजस्थान में स्थित, यह किला मजबूत सुरक्षा प्रणाली के लिए प्रसिद्ध था।
- दिल्ली का लाल कोट – पृथ्वीराज ने इसे मजबूत करवाया।
- कुतुब मीनार परिसर (दिल्ली) – पृथ्वीराज ने कई इमारतों का निर्माण करवाया।
(ख) मंदिर और स्थापत्य कला
- सोमेश्वर मंदिर (अजमेर) – चौहान शासकों द्वारा निर्मित।
- आदिलपुर मंदिर (दिल्ली) – हिंदू और जैन मंदिरों के अवशेष मिले हैं।
- कनक दुर्गा मंदिर (अजमेर) – यह मंदिर पृथ्वीराज के काल से जुड़ा हुआ है।
7. पृथ्वीराज चौहान द्वारा स्थापित विशेष शहर और स्थान
- अजमेर (राजस्थान) – उनकी राजधानी, जहां से उन्होंने शासन किया।
- दिल्ली (लाल कोट) – उन्होंने इस किले को मजबूत किया।
- तराइन (हरियाणा) – यहाँ दो ऐतिहासिक युद्ध हुए।
- कन्नौज (उत्तर प्रदेश) – संयोगिता से विवाह के कारण प्रसिद्ध।
8. पृथ्वीराज चौहान के विशेष कार्य
- राजपूतों की एकता का प्रयास – उन्होंने कई राजपूत राज्यों को संगठित करने का प्रयास किया।
- इस्लामिक आक्रमणकारियों का सामना – महमूद ग़ोरी के खिलाफ बहादुरी से लड़े।
- संस्कृति और साहित्य का संरक्षण – संस्कृत और हिंदी साहित्य को बढ़ावा दिया।
- धार्मिक सहिष्णुता – उनके शासनकाल में हिंदू और जैन मंदिरों का संरक्षण किया गया।
9. पृथ्वीराज चौहान का परिवार
- पिता: सोमेश्वर चौहान (अजमेर के राजा)
- माता: कर्पूरदेवी
- पत्नी: संयोगिता (जयचंद की पुत्री)
- बेटा: गोविंदराज चौहान (पृथ्वीराज के बाद अजमेर का शासक)
10. पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु और विरासत
- 1192 ई. में तराइन के द्वितीय युद्ध में पराजय के बाद, उन्हें अफगानिस्तान ले जाया गया और अंधा कर दिया गया।
- कहा जाता है कि चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को एक विशेष अवसर पर तीर चलाने में मदद की, जिससे ग़ोरी मारा गया।
- उनकी मृत्यु के बाद भारत में इस्लामी शासन का विस्तार हुआ और दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई।
निष्कर्ष
पृथ्वीराज चौहान भारत के अंतिम शक्तिशाली हिंदू शासकों में से एक थे। उन्होंने राजपूत वीरता, प्रेम, संघर्ष और बलिदान की महान गाथा लिखी। उनके शासनकाल में संस्कृति, साहित्य और स्थापत्य कला का विकास हुआ। हालाँकि, आपसी राजपूत संघर्षों और महमूद ग़ोरी को छोड़े जाने की गलती के कारण वे पराजित हुए, जिससे भारत में मुस्लिम शासन का मार्ग प्रशस्त हुआ।