पारिस्थितिक पिरामिड

पारिस्थितिक पिरामिड (Ecological Pyramid) की विस्तृत जानकारी

पारिस्थितिक पिरामिड पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा प्रवाह, जैव द्रव्यमान (Biomass), और जीवों की संख्या को ग्राफिक रूप से प्रदर्शित करने का एक तरीका है। इसे चार्ल्स एल्टन (Charles Elton) ने 1927 में प्रस्तुत किया था, इसलिए इसे “एल्टन पिरामिड” भी कहा जाता है।

पारिस्थितिक पिरामिड के घटक

प्रत्येक पारिस्थितिक पिरामिड निम्नलिखित ट्रॉफिक स्तरों से मिलकर बना होता है:

  1. उत्पादक (Producers) – जैसे पौधे, शैवाल, फाइटोप्लवकटन।
  2. प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumers) – शाकाहारी जीव, जैसे हिरण, गाय, खरगोश।
  3. माध्यमिक उपभोक्ता (Secondary Consumers) – मांसाहारी और सर्वाहारी जीव, जैसे मेंढक, साँप, लोमड़ी।
  4. तृतीयक उपभोक्ता (Tertiary Consumers) – शीर्ष मांसाहारी, जैसे बाघ, शेर, बाज।
  5. अपघटक (Decomposers) – फंगी, बैक्टीरिया, केंचुए (ये पिरामिड में शामिल नहीं होते, लेकिन पोषक तत्त्वों के पुनर्चक्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं)।

पारिस्थितिक पिरामिड के प्रकार

1. संख्या का पिरामिड (Pyramid of Numbers)

यह पिरामिड प्रत्येक ट्रॉफिक स्तर पर जीवों की संख्या को दर्शाता है।

संख्या पिरामिड के प्रकार:

  1. सीधा पिरामिड (Upright Pyramid) – जब निचले स्तरों पर जीवों की संख्या अधिक होती है और ऊपरी स्तरों पर कम।
    • उदाहरण: घास (हजारों) → कीट (सैकड़ों) → मेंढक (दर्जनों) → साँप (कुछ) → बाज (1)
  2. उल्टा पिरामिड (Inverted Pyramid) – जब निचले स्तरों पर जीवों की संख्या कम होती है और ऊपरी स्तरों पर अधिक।
    • उदाहरण: एक वृक्ष (1) → हजारों कीट → सैकड़ों पक्षी

निष्कर्ष: संख्या का पिरामिड हमेशा सीधा नहीं होता, यह पारिस्थितिकी तंत्र के अनुसार उल्टा भी हो सकता है।


2. जैव द्रव्यमान का पिरामिड (Pyramid of Biomass)

यह पिरामिड प्रत्येक ट्रॉफिक स्तर पर उपस्थित जीवों के कुल सूखे भार (Dry Weight) या जैव द्रव्यमान को दर्शाता है।

जैव द्रव्यमान पिरामिड के प्रकार:

  1. सीधा पिरामिड: जब निचले ट्रॉफिक स्तर पर जैव द्रव्यमान अधिक होता है और उच्च स्तर पर कम।
    • उदाहरण: वन पारिस्थितिकी तंत्र में –
      पेड़-पौधे (ज्यादा जैव द्रव्यमान) → शाकाहारी (कम) → मांसाहारी (अधिक कम)
  2. उल्टा पिरामिड: जब निचले स्तर पर जैव द्रव्यमान कम और उच्च स्तर पर अधिक होता है।
    • उदाहरण: जलीय पारिस्थितिकी तंत्र –
      फाइटोप्लवकटन (कम जैव द्रव्यमान) → ज़ोप्लवकटन (अधिक) → छोटी मछलियाँ → बड़ी मछलियाँ

निष्कर्ष: भूमि पारिस्थितिकी तंत्र में यह सीधा और जल पारिस्थितिकी तंत्र में उल्टा होता है।


3. ऊर्जा का पिरामिड (Pyramid of Energy)

यह पिरामिड प्रत्येक ट्रॉफिक स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा को दर्शाता है। इसमें ऊर्जा का प्रवाह उत्पादकों से शीर्ष उपभोक्ताओं तक एकदिशात्मक होता है।

ऊर्जा पिरामिड की विशेषताएँ:

  • यह हमेशा सीधा (Upright) होता है क्योंकि ऊर्ज़ा धीरे-धीरे कम होती जाती है।
  • हर ट्रॉफिक स्तर पर केवल 10% ऊर्जा अगले स्तर तक पहुँचती है, बाकी 90% ऊर्जा श्वसन, ऊष्मा और चयापचय क्रियाओं में नष्ट हो जाती है (10% ऊर्जा नियम)।
  • ऊर्जा के स्रोत मुख्य रूप से सूर्य, प्रकाश संश्लेषण, और अन्य जैविक क्रियाएँ होती हैं।

निष्कर्ष: ऊर्जा का पिरामिड हमेशा सीधा होता है क्योंकि ऊर्जा का क्षय (Loss) होता रहता है।


ऊर्जा प्रवाह और पारिस्थितिक पिरामिड का महत्व

  1. पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखना: यह दिखाता है कि ऊर्जा और पोषक तत्त्व कैसे प्रवाहित होते हैं।
  2. पर्यावरणीय अध्ययन में सहायक: यदि किसी एक ट्रॉफिक स्तर पर जीवों की संख्या या जैव द्रव्यमान में परिवर्तन होता है, तो यह पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है।
  3. मानव प्रभाव को समझना: यदि मनुष्य पारिस्थितिकी तंत्र में हस्तक्षेप करते हैं (जैसे कि वनों की कटाई या अत्यधिक शिकार), तो पारिस्थितिक पिरामिड असंतुलित हो जाता है।

निष्कर्ष

पारिस्थितिक पिरामिड जीवों के बीच ऊर्जा और पोषण संबंधी संबंधों को समझने में मदद करता है।

  • संख्या का पिरामिड किसी ट्रॉफिक स्तर पर जीवों की संख्या दिखाता है।
  • जैव द्रव्यमान का पिरामिड कुल जीव द्रव्यमान प्रदर्शित करता है।
  • ऊर्जा का पिरामिड ऊर्जा प्रवाह को दिखाता है, जो हमेशा सीधा रहता है।
Scroll to Top