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नसीरुद्दीन महमूद (1246-1266 ई.) – दिल्ली सल्तनत का शासक
परिचय
- पूरा नाम: सुल्तान नसीरुद्दीन महमूद
- वंश: गुलाम वंश (ममलूक वंश)
- राज्यकाल: 1246-1266 ई. (20 वर्ष)
- पिता: शम्सुद्दीन इल्तुतमिश
- मृत्यु: 1266 ई.
नसीरुद्दीन महमूद का परिवार और शासन में उसकी भूमिका
- वह इल्तुतमिश का पुत्र था और बलबन का बहनोई था।
- उसके पहले सुल्तान अलाउद्दीन मसूद शाह (1242-1246 ई.) को तुर्की अमीरों ने अपदस्थ कर दिया।
- तुर्की अमीरों ने नसीरुद्दीन महमूद को सुल्तान बनाया, लेकिन असली शक्ति गयासुद्दीन बलबन के हाथों में थी।
- वह एक धार्मिक और शांत स्वभाव का व्यक्ति था, इसलिए शासन की बागडोर बलबन के पास रही।
नसीरुद्दीन महमूद का साम्राज्य
- उसका साम्राज्य दिल्ली, पंजाब, दोआब, बंगाल, बिहार और कुछ पश्चिमी क्षेत्रों तक फैला था।
- बलबन ने शासन की बागडोर संभालते हुए मंगोल आक्रमणों को रोका और दिल्ली सल्तनत को मजबूत किया।
- बंगाल, अवध और अन्य इलाकों में विद्रोह हुए, जिन्हें बलबन ने दबाया।
नसीरुद्दीन महमूद के समय के प्रमुख युद्ध और विद्रोह
- मंगोल आक्रमण (1246-1266 ई.)
- मंगोलों ने कई बार पंजाब और सिंध पर हमला किया।
- बलबन ने नसीरुद्दीन महमूद के नाम पर इन हमलों को विफल किया।
- बंगाल और अवध में विद्रोह (1250-1260 ई.)
- बंगाल और अवध के शासकों ने कई बार विद्रोह किया।
- बलबन ने सुल्तान के नाम पर इन विद्रोहों को कुचल दिया।
नसीरुद्दीन महमूद का दरबार, साहित्य और प्रमुख लेखक
- नसीरुद्दीन महमूद खुद ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था, लेकिन उसके शासन में फारसी साहित्य का विकास हुआ।
- प्रमुख लेखक और कवि:
- मिन्हाज-ए-सिराज – तबकात-ए-नासिरी (दिल्ली सल्तनत का इतिहास लिखा)
- अमीर खुसरो – वह बाद में बलबन और खिलजी काल में प्रसिद्ध हुए।
- जियाउद्दीन बरनी – तरिख-ए-फिरोजशाही (बाद में बलबन और खिलजी शासन का इतिहास लिखा)
नसीरुद्दीन महमूद के समय की स्थापत्य कला
- नसीरुद्दीन महमूद स्वयं किसी भवन निर्माण में ज्यादा रुचि नहीं रखता था।
- हालांकि, गयासुद्दीन बलबन ने उसके नाम पर कई भवनों का निर्माण कराया।
- दिल्ली में मदरसे, मकबरे और मस्जिदें बनवाई गईं।
नसीरुद्दीन महमूद के विशेष कार्य और शासन की नीति
- वह शांतिप्रिय और धार्मिक शासक था।
- इस्लामी कानून (शरीयत) को लागू किया गया।
- उसने अपनी धर्मपरायणता के कारण युद्धों और विस्तार पर ध्यान नहीं दिया।
- बलबन ही असली शक्ति बना रहा और शासन चलाता रहा।
नसीरुद्दीन महमूद की मृत्यु और उसका अंत
- 1266 ई. में उसकी स्वाभाविक मृत्यु हो गई।
- उसकी कोई संतान नहीं थी, इसलिए बलबन ने खुद को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर दिया।
निष्कर्ष
- नसीरुद्दीन महमूद गुलाम वंश का एक कमजोर शासक था।
- असली शक्ति गयासुद्दीन बलबन के हाथों में थी।
- उसके शासनकाल में मंगोल आक्रमण, विद्रोह और सत्ता संघर्ष होते रहे।
- उसके नाम पर बलबन ने कई सैन्य अभियान चलाए और दिल्ली सल्तनत को मजबूत किया।
- अंततः 1266 ई. में उसकी मृत्यु हो गई और बलबन दिल्ली का नया सुल्तान बना।