नर्मदा नदी: विस्तृत जानकारी
1. परिचय
नर्मदा नदी भारत की प्रमुख नदियों में से एक है और इसे “मध्य प्रदेश की जीवनरेखा” कहा जाता है। यह भारत की पाँचवीं सबसे लंबी नदी है और पश्चिम की ओर बहने वाली सबसे लंबी नदी है।
- कुल लंबाई: 1,312 किमी
- बेसिन क्षेत्र: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, और छत्तीसगढ़
- विशेषता:
- भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक।
- संगम या त्रिवेणी नहीं बनाती (यह गंगा की तरह अन्य नदियों से ज्यादा नहीं मिलती)।
- पश्चिम की ओर बहने वाली सबसे बड़ी नदी।
- तट पर 12 साल में एक बार “नर्मदा कुंभ” आयोजित होता है।
- मध्य प्रदेश का नर्मदा कुंभ
- 1. परिचय
- नर्मदा कुंभ एक धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है, जो नर्मदा नदी के किनारे विभिन्न स्थानों पर संपन्न होता है। यह कुंभ महोत्सव 12 वर्षों के अंतराल में आयोजित किया जाता है, ठीक उसी तरह जैसे हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में कुंभ मेले का आयोजन होता है।
- 2. नर्मदा कुंभ कहाँ होता है?
- नर्मदा कुंभ मुख्य रूप से अमरकंटक में आयोजित किया जाता है, जो नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है। हालांकि, जबलपुर (भेड़ाघाट), ओंकारेश्वर, महेश्वर और होशंगाबाद जैसे नर्मदा के किनारे बसे अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के शहरों में भी इससे संबंधित आयोजन होते हैं।
- 3. नर्मदा कुंभ का महत्व
- धार्मिक दृष्टि से: नर्मदा नदी को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह कुंभ संतों, भक्तों और तीर्थयात्रियों के लिए आध्यात्मिक संगम का अवसर प्रदान करता है।
- संस्कृति एवं परंपरा: नर्मदा परिक्रमा की प्रथा को बढ़ावा देना और पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना इस आयोजन का एक प्रमुख उद्देश्य होता है।
- पर्यावरण संरक्षण: नर्मदा कुंभ के दौरान जल संरक्षण और नदियों की स्वच्छता का संदेश दिया जाता है।
- 4. आयोजन के प्रमुख पहलू
- पवित्र स्नान (शाही स्नान): नर्मदा कुंभ के दौरान श्रद्धालु नर्मदा नदी में स्नान कर आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त करते हैं।
- धार्मिक अनुष्ठान: विभिन्न प्रकार की पूजा, हवन, कथा-कीर्तन और प्रवचन का आयोजन किया जाता है।
- संत सम्मेलन: देशभर से आए साधु-संत और महात्मा आध्यात्मिक प्रवचन और धार्मिक संदेश देते हैं।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: नर्मदा महोत्सव के अंतर्गत लोकनृत्य, संगीत, एवं आध्यात्मिक प्रस्तुतियाँ होती हैं।
- नर्मदा परिक्रमा का महत्व: कई श्रद्धालु इस अवसर पर नर्मदा परिक्रमा यात्रा आरंभ करते हैं, जो लगभग 2,600 किमी लंबी होती है।
- 5. पिछला और अगला नर्मदा कुंभ
- पिछला आयोजन: 2011 में अमरकंटक में हुआ था।
- अगला संभावित आयोजन: 2023 या 2024 में प्रस्तावित था, लेकिन सटीक जानकारी के लिए अद्यतन सूचना आवश्यक है।
- 6. नर्मदा कुंभ से जुड़े रोचक तथ्य
- नर्मदा कुंभ को “नर्मदा महाकुंभ” भी कहा जाता है।
- इसे “मध्य प्रदेश का कुंभ मेला” माना जाता है, जो आध्यात्मिकता और पर्यावरण संरक्षण का संगम है।
- नर्मदा कुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु और पर्यटक एकत्रित होते हैं, जिससे यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बन जाता है।
- निष्कर्ष
- नर्मदा कुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण और आध्यात्मिकता का संगम है। यह नर्मदा नदी की महिमा और महत्व को उजागर करता है और मध्य प्रदेश की धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान को सशक्त बनाता है।
2. नर्मदा नदी का उद्गम
- उद्गम स्थल: अमरकंटक, अनूपपुर जिला, मध्य प्रदेश
- स्थिति: विंध्य और सतपुड़ा पर्वत शृंखलाओं के बीच
- महत्व:
- यह स्थान हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है।
- यहाँ नर्मदा कुंड स्थित है, जहाँ से नदी की शुरुआत होती है।
3. प्रवाह मार्ग और अपवाह तंत्र (Drainage System)
- नर्मदा नदी पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर में गिरती है।
- यह मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और गुजरात में बहती है, और महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ़ के कुछ भागों को भी प्रभावित करती है।
- बेसिन क्षेत्र: 98,796 वर्ग किमी
(1) किन राज्यों से होकर बहती है?
- मध्य प्रदेश (1,078 किमी – सबसे लंबा प्रवाह)
- महाराष्ट्र (74 किमी)
- गुजरात (161 किमी)
- छत्तीसगढ़ (18 किमी – कुछ सहायक नदियाँ)
(2) किन जिलों से होकर बहती है?
मध्य प्रदेश: अनूपपुर, डिंडोरी, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, खंडवा, खरगोन, बड़वानी
महाराष्ट्र: नंदुरबार
गुजरात: भरूच, वडोदरा, नर्मदा जिला
(3) प्रमुख सहायक नदियाँ
- बाएँ किनारे से: शेर, दुधी, तवा, गंजाल
- दाएँ किनारे से: हिरन, बर्ना, शक्कर, ओरसान, कोलार
4. नर्मदा नदी पर बने प्रमुख बाँध और सिंचाई परियोजनाएँ
(1) सरदार सरोवर बाँध
- स्थान: गुजरात
- महत्व: भारत के सबसे ऊँचे बाँधों में से एक
- लाभ:
- महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में जल आपूर्ति और सिंचाई।
- हाइड्रोपावर उत्पादन।
- जल संरक्षण और बाढ़ नियंत्रण।
- स्थान: गुजरात के नर्मदा जिले में स्थित।
- नदी: नर्मदा नदी पर निर्मित।
- ऊँचाई: 163 मीटर (विश्व के सबसे ऊँचे बांधों में से एक)।
- लंबाई: 1,210 मीटर।
- जल संग्रहण क्षमता: 9.5 मिलियन एकड़-फीट।
- उद्देश्य: सिंचाई, जल आपूर्ति, बिजली उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण।
- संयुक्त राज्य: गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान।
- बिजली उत्पादन क्षमता: 1,450 मेगावाट।
- निर्माण वर्ष: 1961 में पंडित नेहरू ने आधारशिला रखी, 2017 में पूरा हुआ।
- विवाद: पर्यावरण और पुनर्वास को लेकर “नर्मदा बचाओ आंदोलन” हुआ।
(2) इंदिरा सागर बाँध
- स्थान: खंडवा, मध्य प्रदेश
- विशेषता: भारत का सबसे बड़ा जलाशय।
- मुख्य उद्देश्य: बिजली उत्पादन और सिंचाई।
- इंदिरा सागर बांध से जुड़ी 20 महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान की बातें
- स्थान – इंदिरा सागर बांध मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है।
- नदी – यह नर्मदा नदी पर बना हुआ है।
- परियोजना का नाम – इंदिरा सागर परियोजना, जिसे नर्मदा घाटी विकास योजना के तहत विकसित किया गया।
- निर्माण वर्ष – 1984 में इस परियोजना की आधारशिला रखी गई और 2005 में पूर्ण रूप से कार्यरत हुआ।
- बिजली उत्पादन क्षमता – इस बांध की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 1,000 मेगावाट (MW) है।
- ऊँचाई – इंदिरा सागर बांध की ऊँचाई 92 मीटर (304 फीट) है।
- लंबाई – इसकी कुल लंबाई 653 मीटर है।
- जल संग्रहण क्षमता – यह भारत का सबसे बड़ा जलाशय है, जिसकी कुल जल संग्रहण क्षमता 12.22 अरब घन मीटर (BMC) है।
- सिंचाई क्षेत्र – इस परियोजना से 1.23 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है।
- संयुक्त राज्य – इस परियोजना का लाभ मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र को मिलता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव – इस बांध के निर्माण से कई गाँव जलमग्न हुए और कई लोगों का पुनर्वास किया गया।
- नर्मदा घाटी परियोजना – यह नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (NVDA) की एक प्रमुख परियोजना है।
- पर्यटन स्थल – यह जलाशय एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है, जहाँ मछली पालन और नौका विहार की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
- नर्मदा बचाओ आंदोलन – इस परियोजना के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध किया, लेकिन इसे अंततः पूरा किया गया।
- बांध की प्रमुख उपयोगिता – सिंचाई, जल आपूर्ति, बिजली उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण।
- सम्बद्ध जल विद्युत परियोजना – इंदिरा सागर बांध से निकलने वाला पानी ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना को भी सपोर्ट करता है।
- नजदीकी शहर – खंडवा और होशंगाबाद जिले के आसपास स्थित है।
- मछली उत्पादन – यह बांध मछली पालन के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिससे स्थानीय मत्स्य पालन उद्योग को बढ़ावा मिलता है।
- सरकारी स्वामित्व – यह परियोजना भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार के संयुक्त प्रयास से संचालित होती है।
- किसानों को लाभ – इस परियोजना से हजारों किसानों को वर्षभर सिंचाई की सुविधा प्राप्त होती है।
(3) ओंकारेश्वर बाँध
- स्थान: खंडवा, मध्य प्रदेश
- महत्व: हाइड्रोपावर और सिंचाई।
- ओंकारेश्वर बांध से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान की बातें
- स्थान – ओंकारेश्वर बांध मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है।
- नदी – यह नर्मदा नदी पर बना हुआ है।
- परियोजना का उद्देश्य – जल विद्युत उत्पादन और सिंचाई के लिए निर्मित किया गया।
- ऊँचाई – इस बांध की ऊँचाई 73 मीटर (240 फीट) है।
- लंबाई – बांध की कुल लंबाई 949 मीटर है।
- बिजली उत्पादन क्षमता – ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना की कुल क्षमता 520 मेगावाट (MW) है।
- परियोजना की शुरुआत – इस परियोजना की आधारशिला 2003 में रखी गई और 2007 में इसे चालू किया गया।
- नजदीकी धार्मिक स्थल – यह बांध प्रसिद्ध ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास स्थित है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
- संचालन एवं स्वामित्व – यह परियोजना नर्मदा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NHDC) द्वारा संचालित है।
- सिंचाई लाभ – यह परियोजना मध्य प्रदेश के कई जिलों को सिंचाई और जल आपूर्ति प्रदान करती है।
(4) महेश्वर बाँध
- स्थान: खरगोन, मध्य प्रदेश
- उद्देश्य: जल आपूर्ति और बिजली उत्पादन।
- महेश्वर बांध से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान की बातें
- स्थान – महेश्वर बांध मध्य प्रदेश के खारगोन जिले में स्थित है।
- नदी – यह नर्मदा नदी पर निर्मित एक जल विद्युत परियोजना है।
- परियोजना का उद्देश्य – मुख्य रूप से जल विद्युत उत्पादन के लिए बनाया गया।
- ऊँचाई – इस बांध की ऊँचाई लगभग 35 मीटर है।
- लंबाई – बांध की कुल लंबाई लगभग 3,120 मीटर है।
- बिजली उत्पादन क्षमता – महेश्वर जल विद्युत परियोजना की कुल क्षमता 400 मेगावाट (MW) है।
- परियोजना की शुरुआत – इस परियोजना को 1992 में मंजूरी मिली थी।
- विवाद एवं विरोध – यह बांध नर्मदा बचाओ आंदोलन के कारण विवादों में रहा, क्योंकि इसके कारण कई गाँव जलमग्न हो सकते थे।
- संचालन एवं स्वामित्व – यह परियोजना श्री महेश्वर हाइड्रो पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SMHPCL) द्वारा संचालित है।
- नजदीकी ऐतिहासिक स्थल – यह बांध महेश्वर शहर के पास स्थित है, जो अहिल्याबाई होल्कर के शासनकाल में एक प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा है।
- महेश्वर बांध नर्मदा नदी पर एक महत्वपूर्ण जल विद्युत परियोजना है, लेकिन पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों के कारण यह विवादों में भी रहा है। इसके बावजूद, यह मध्य प्रदेश में ऊर्जा उत्पादन और जल संसाधन प्रबंधन में अहम भूमिका निभाता है।
(5) तवा बाँध
- स्थान: होशंगाबाद, मध्य प्रदेश
- महत्व:
- तवा नदी पर स्थित है, जो नर्मदा की प्रमुख सहायक नदी है।
- सिंचाई और मछली पालन के लिए महत्वपूर्ण।
- तवा बांध से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान की बातें
- स्थान – तवा बांध मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले में स्थित है।
- नदी – यह तवा नदी पर बना हुआ है, जो नर्मदा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
- निर्माण वर्ष – इस बांध का निर्माण 1958 में शुरू हुआ और 1978 में पूरा हुआ।
- ऊँचाई – तवा बांध की ऊँचाई 57.91 मीटर है।
- लंबाई – इस बांध की कुल लंबाई 1,815 मीटर है।
- जल संग्रहण क्षमता – इसकी जल संग्रहण क्षमता लगभग 2,245 मिलियन घन मीटर (MCM) है।
- उद्देश्य – सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और जल आपूर्ति के लिए निर्मित किया गया।
- सिंचित क्षेत्र – तवा परियोजना से लगभग 3 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है।
- पर्यटन स्थल – तवा जलाशय में नौका विहार की सुविधा उपलब्ध है और यह सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान के नजदीक स्थित है।
- मत्स्य पालन – यह बांध स्थानीय मछली पालन उद्योग के लिए भी महत्वपूर्ण है।
5. नर्मदा नदी से जुड़े राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य
(1) सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान
- स्थान: होशंगाबाद जिला
- महत्व: टाइगर रिजर्व
- सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले में स्थित है।
- इसकी स्थापना 1981 में की गई थी।
- यह सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में फैला हुआ है।
- यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व भी है।
- यहाँ प्रमुख वन्यजीवों में बाघ, तेंदुआ, गौर, सांभर और भालू शामिल हैं।
- यह भारत के सबसे घने वनों में से एक माना जाता है।
- यहाँ डेनवा नदी बहती है, जो इसकी प्रमुख जलधारा है।
- यहाँ सफारी के लिए नाव सफारी, जीप सफारी और वॉकिंग सफारी की सुविधा उपलब्ध है।
- इस उद्यान में पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व का एक बड़ा भाग आता है।
- यहाँ कई आदिवासी समुदाय जैसे गोंड और कोरकू जनजातियाँ निवास करती हैं।
(2) कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
- स्थान: मंडला और बालाघाट जिला
- महत्व: बाघों का प्रमुख संरक्षण क्षेत्र
- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के मंडला और बालाघाट जिलों में स्थित है।
- इसकी स्थापना 1955 में की गई थी।
- यह भारत के सबसे प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व में से एक है, जिसे 1973 में “प्रोजेक्ट टाइगर” के तहत शामिल किया गया।
- यहाँ दुनिया की दुर्लभ बारहसिंगा (Swamp Deer) की विशेष संरक्षण परियोजना चलाई जा रही है।
- इस उद्यान का घास का मैदान (Meadow) एशिया के सबसे बड़े प्राकृतिक घास के मैदानों में से एक है।
- प्रसिद्ध लेखक रुडयार्ड किपलिंग की पुस्तक “द जंगल बुक” की प्रेरणा कान्हा के जंगलों से ली गई थी।
- यहाँ मुख्य रूप से साल, बांस, और साजा के घने जंगल पाए जाते हैं।
- उद्यान में बाघ, तेंदुआ, भालू, गिद्ध, जंगली कुत्ते और कई अन्य दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- यह भारत का पहला ऐसा राष्ट्रीय उद्यान है जहाँ “वाइल्डलाइफ कैम्पिंग” और “इको-टूरिज्म” को बढ़ावा दिया गया।
- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश के लिए चार प्रमुख गेट हैं – किसली, मुक्की, खटिया और सरही।
(3) पेंच राष्ट्रीय उद्यान
- स्थान: सिवनी और छिंदवाड़ा जिला
- महत्व: “द जंगल बुक” का प्रेरणा स्रोत
- पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा जिलों में स्थित है।
- इसकी स्थापना 1975 में की गई और 1992 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।
- यह उद्यान पेंच नदी के नाम पर रखा गया है, जो इसे दो भागों में विभाजित करती है।
- प्रसिद्ध लेखक रुडयार्ड किपलिंग की कृति “द जंगल बुक” की प्रेरणा यहीं के जंगलों से मिली थी।
- यहाँ रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुआ, लकड़बग्घा, भालू, गौर और चीतल जैसे वन्यजीव पाए जाते हैं।
- यह मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है और इसका एक भाग महाराष्ट्र में भी फैला हुआ है।
- उद्यान में पक्षियों की 285 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिसमें गिद्ध और हॉर्नबिल प्रमुख हैं।
- यह भारत के सबसे अच्छे टाइगर साइटिंग लोकेशन्स में से एक माना जाता है।
- पेंच टाइगर रिजर्व में प्रवेश के लिए टुरिया, करमाझिरी, जमतारा और सिल्लारी गेट प्रमुख हैं।
- यह राष्ट्रीय उद्यान “सस्टेनेबल टूरिज्म” (सतत पर्यटन) को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है, जिससे स्थानीय समुदायों को लाभ मिलता है।
(4) नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य
- स्थान: सागर, दमोह, नरसिंहपुर, रायसेन
- महत्व: बाघ पुनर्स्थापन परियोजना
- नौरादेही वन्य अभयारण्य मध्य प्रदेश के सागर, दमोह, नरसिंहपुर और रायसेन जिलों में स्थित है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 1,197 वर्ग किलोमीटर है।
- यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा वन ब्लॉक है और इसकी स्थापना 1975 में की गई थी।
- यहाँ सागौन, साजा, धौरा, भीरा, बेर और आंवला जैसे वृक्ष पाए जाते हैं।
- प्रमुख वन्यजीवों में बाघ, तेंदुआ, चिंकारा, नीलगाय, सियार, भेड़िया, लकड़बग्घा, जंगली कुत्ता, रीछ, सांभर, मोर और चीतल शामिल हैं।
- यह गंगा और नर्मदा नदी घाटियों के बीच स्थित है, जिससे यहाँ जैव विविधता अधिक पाई जाती है।
- पर्यटकों के लिए यहाँ ट्रैकिंग, एडवेंचर और वाइल्ड सफारी की सुविधा उपलब्ध है।
- यहाँ चीता पुनर्स्थापना परियोजना पर विचार किया गया है, जिससे भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने की योजना बनाई जा रही है।
- अभयारण्य के अंदर लगभग 70 गाँव स्थित हैं, जो यहाँ की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं।
- कोपरा, बामनेर और बेर्मा नदियाँ इस क्षेत्र के लिए मुख्य जल स्रोत हैं।
- जबलपुर से लगभग 90 किमी और सागर से 56 किमी की दूरी पर स्थित यह अभयारण्य पर्यटकों के लिए आसानी से पहुँचा जा सकता है।
6. नर्मदा नदी से जुड़े प्रमुख पर्यटक स्थल
(1) भेड़ाघाट (जबलपुर)
- विशेषता: संगमरमर की चट्टानें और धुआँधार जलप्रपात।
- महत्व: यहाँ बोटिंग और केबल कार सुविधा उपलब्ध है।
- भेड़ाघाट मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जो नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है।
- इसे अपनी संगमरमर की चट्टानों (Marble Rocks) के लिए जाना जाता है, जो लगभग 100 फीट ऊँची हैं और चाँदनी रात में अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती हैं।
- नर्मदा नदी यहाँ एक गहरी संकीर्ण घाटी से होकर गुजरती है, जिससे खूबसूरत जलधारा बनती है, जिसे “धुआंधार जलप्रपात” कहा जाता है।
- धुआंधार जलप्रपात का नाम इसीलिए पड़ा क्योंकि इसकी पानी की धाराएँ धुएँ जैसी दिखती हैं और गिरने की तेज़ आवाज़ दूर तक सुनाई देती है।
- भेड़ाघाट में नौका विहार (Boating) का आनंद लिया जा सकता है, विशेषकर पूर्णिमा की रात में, जब संगमरमर की चट्टानें चाँदनी में चमकती हैं।
- यहाँ स्थित “चौंसठ योगिनी मंदिर” 10वीं शताब्दी का प्राचीन मंदिर है, जो 64 योगिनियों और भगवान शिव को समर्पित है।
- यह स्थान कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग के लिए भी मशहूर है, जैसे “अशोका” और “मोहनजोदड़ो” की शूटिंग यहाँ हुई है।
- भेड़ाघाट की संगमरमर की चट्टानों का उपयोग कई ऐतिहासिक स्मारकों और मूर्तियों के निर्माण में किया गया है।
- यह जबलपुर शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहाँ सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- भेड़ाघाट का पर्यटन जबलपुर की अर्थव्यवस्था और जीडीपी में योगदान देता है, विशेष रूप से होटल, हस्तशिल्प, नाव संचालन और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देता है।
(2) ओंकारेश्वर (खंडवा)
- विशेषता: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक।
- महत्व: हिन्दू तीर्थ स्थल।
(3) महेश्वर (खरगोन)
- विशेषता: ऐतिहासिक किला और घाट।
- महत्व: देवी अहिल्याबाई होल्कर का राजधानी स्थल।
(4) अमरकंटक (अनूपपुर)
- विशेषता: नर्मदा का उद्गम स्थल।
- महत्व: तीर्थ स्थल और प्राकृतिक सुंदरता।
(5) मंडला और रामनगर किला
- विशेषता: ऐतिहासिक महत्व और नर्मदा के तट पर स्थित।
7. नर्मदा नदी से जुड़े प्रमुख मंदिर
(1) ओंकारेश्वर मंदिर
- स्थान: खंडवा
- महत्व: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक।
(2) माँ नर्मदा मंदिर
- स्थान: अमरकंटक
- महत्व: नर्मदा नदी की देवी के रूप में पूजा।
(3) महेश्वर शिव मंदिर
- स्थान: खरगोन
- महत्व: ऐतिहासिक मंदिर।
(4) चिंतामण गणेश मंदिर
- स्थान: उज्जैन
- महत्व: नर्मदा के किनारे स्थित।
8. नर्मदा नदी से जुड़े रोचक तथ्य
- गंगा की तरह नर्मदा को भी “जीवित नदी” का दर्जा देने की माँग की जा रही है।
- नर्मदा परिक्रमा (2,600 किमी) हिंदू धर्म में एक प्रमुख आध्यात्मिक यात्रा मानी जाती है।
- यह एक “रीवर बेसिन” नदी है, जो विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत के बीच बहती है।
- यह भारत की एकमात्र नदी है, जिसमें अन्य नदियों की तुलना में बहुत कम गाद (sediment) पाई जाती है।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह भगवान शिव के पसीने से उत्पन्न हुई थी।
निष्कर्ष
नर्मदा नदी केवल जल स्रोत ही नहीं, बल्कि संस्कृति, इतिहास, आध्यात्म और पारिस्थितिकी का महत्वपूर्ण अंग है। यह मध्य प्रदेश और गुजरात की अर्थव्यवस्था, सिंचाई, और जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है और अनेक धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों को जोड़ती है।