ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण – MPPSC परीक्षा के लिए विस्तृत जानकारी

ध्वनि प्रदूषण क्या है?

जब ध्वनि का स्तर निर्धारित सीमा (75 डेसिबल से अधिक) को पार कर जाता है और यह मानव, जीव-जंतुओं तथा पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, तो इसे ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) कहा जाता है। यह मानसिक तनाव, श्रवण क्षमता की हानि, हृदय रोग, तथा अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।


ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख कारण

1. यातायात और परिवहन

  • गाड़ियों के हॉर्न, इंजन की आवाज, हवाई जहाज, ट्रेनों और उद्योगों की मशीनों से अत्यधिक शोर उत्पन्न होता है।

2. औद्योगिक गतिविधियाँ

  • कारखानों, निर्माण स्थलों और मशीनरी से तेज आवाज उत्पन्न होती है, जो कार्यस्थल और आसपास के क्षेत्र को प्रभावित करती है।

3. सामाजिक एवं धार्मिक समारोह

  • लाउडस्पीकर, बैंड-बाजे, पटाखे और त्योहारों में DJ का अधिक उपयोग ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाता है।

4. शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि

  • अधिक जनसंख्या और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में वाहनों, निर्माण कार्यों और अन्य गतिविधियों से शोर का स्तर बढ़ता है।

5. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अधिक उपयोग

  • टीवी, रेडियो, मोबाइल स्पीकर और अन्य ध्वनि उत्सर्जक उपकरणों का उच्च वॉल्यूम पर प्रयोग ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाता है।

ध्वनि प्रदूषण से जुड़ी प्रमुख घटनाएँ

1. मुंबई हाई कोर्ट का DJ बैन (2017, भारत)

  • मुंबई हाई कोर्ट ने गणेश उत्सव और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में DJ के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया, क्योंकि इससे ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा था।

2. दिल्ली का पटाखा प्रतिबंध (2018, भारत)

  • दिल्ली में दिवाली के दौरान अत्यधिक पटाखों के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ गया, जिससे उच्चतम न्यायालय ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया।

3. लंदन एयरपोर्ट शोर विवाद (2019, UK)

  • लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर अत्यधिक हवाई यातायात के कारण आसपास के इलाकों में ध्वनि प्रदूषण बढ़ गया, जिससे स्थानीय लोगों ने कानूनी कार्रवाई की।

ध्वनि प्रदूषण से होने वाली बीमारियाँ

  1. बहरापन (Hearing Loss): अधिक ध्वनि स्तर से श्रवण क्षमता कमजोर हो सकती है।
  2. मानसिक तनाव: लगातार तेज आवाजें मानसिक तनाव और चिंता को बढ़ाती हैं।
  3. हृदय रोग: उच्च ध्वनि स्तर से रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।
  4. नींद में बाधा: अधिक शोर के कारण अनिद्रा और अन्य नींद संबंधित समस्याएँ होती हैं।
  5. स्नायविक समस्याएँ: लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण के संपर्क में रहने से सिरदर्द और स्नायविक समस्याएँ हो सकती हैं।

ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय

  1. यातायात नियंत्रण: हॉर्न का कम उपयोग, इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़ाना।
  2. ध्वनि अवशोषक सामग्री का उपयोग: इमारतों में ध्वनि अवशोषक सामग्री लगाना।
  3. सार्वजनिक स्थानों पर ध्वनि सीमा तय करना: ध्वनि स्तर को नियंत्रित करने के लिए कानूनी प्रावधान लागू करना।
  4. पेड़ लगाना: पेड़ ध्वनि को अवशोषित करते हैं, जिससे शोर कम होता है।
  5. लाउडस्पीकर और पटाखों पर नियंत्रण: धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में ध्वनि सीमा का पालन करना।
  6. शिक्षा और जागरूकता: ध्वनि प्रदूषण के प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना।

ध्वनि प्रदूषण से जुड़े रोचक तथ्य

  1. WHO के अनुसार, 85 डेसिबल से अधिक ध्वनि लंबे समय तक सहन करने योग्य नहीं होती।
  2. जापान में ध्वनि प्रदूषण कानून (Noise Pollution Law, 1968) सबसे प्रभावी कानूनों में से एक है।
  3. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई भारत के सबसे प्रदूषित शोर स्तर वाले शहरों में आते हैं।
  4. एक जेट विमान का टेकऑफ शोर लगभग 140 डेसिबल होता है, जो कान के पर्दे को क्षतिग्रस्त कर सकता है।
  5. ऑफिस में टाइपिंग करने की आवाज 50 डेसिबल होती है, जो सामान्य बातचीत के बराबर होती है।

ध्वनि प्रदूषण से संबंधित सरकारी योजनाएँ और कानून

  1. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (1986): ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कानूनी प्रावधान।
  2. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT): ध्वनि प्रदूषण से जुड़े मामलों की सुनवाई करता है।
  3. साइलेंस ज़ोन नीति: अस्पतालों, स्कूलों और धार्मिक स्थलों के आसपास ध्वनि सीमा लागू की जाती है।
  4. पटाखा नियंत्रण नीति (2021): उच्चतम न्यायालय द्वारा पटाखों के उपयोग पर नियंत्रण के लिए निर्देश दिए गए हैं।
  5. ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000: इसमें विभिन्न क्षेत्रों के लिए ध्वनि सीमा तय की गई है।

ध्वनि प्रदूषण से जुड़े सामान्य ज्ञान के प्रश्न (MPPSC के लिए उपयोगी)

  1. ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
  2. ध्वनि प्रदूषण मापने की इकाई क्या है?
  3. ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए कौन-से उपाय किए जा सकते हैं?
  4. भारत में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित कौन-कौन से कानून लागू हैं?
  5. ध्वनि प्रदूषण किस प्रकार के स्वास्थ्य प्रभाव उत्पन्न कर सकता है?
  6. WHO के अनुसार, सुरक्षित ध्वनि सीमा कितनी होनी चाहिए?
  7. भारत में ध्वनि प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव किन शहरों में देखा गया है?

निष्कर्ष

ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य समस्या है, जो तेजी से बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण विकराल रूप ले रही है। इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार को कड़े नियम लागू करने चाहिए और लोगों को भी ध्वनि प्रदूषण के प्रति जागरूक होना चाहिए। MPPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में इससे जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं, इसलिए यह विषय परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

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