मशहूर हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ल को मिलेगा 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार ।
आज की खबर : – हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक विनोद कुमार शुक्ल को 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। छत्तीसगढ़ के निवासी शुक्ल जी अपनी विशिष्ट लेखन शैली और गहन संवेदनशीलता के लिए जाने जाते हैं। उनके चर्चित उपन्यास “दीवार में एक खिड़की रहती थी”, “नौकर की कमीज़” और उनकी कविताएँ भारतीय साहित्य में विशेष स्थान रखती हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी साहित्य में उनके अप्रतिम योगदान को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जा रहा है।
1. क्या है ज्ञानपीठ पुरस्कार?
उत्तर: ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है, जो भारतीय भाषाओं के साहित्य में उत्कृष्ट योगदान देने वाले लेखकों को दिया जाता है।
2. यह क्यों दिया जाता है?
उत्तर: यह पुरस्कार भारतीय साहित्य की समृद्धि को प्रोत्साहित करने और उत्कृष्ट लेखकों के योगदान को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है।
3. यह पुरस्कार कौन देता है?
उत्तर: यह पुरस्कार भारतीय सांस्कृतिक संस्था भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा दिया जाता है, जो 1961 में स्थापित हुई थी।
4. अब तक किन-किन लोगों को यह पुरस्कार मिल चुका है?
उत्तर: अब तक हिंदी, उर्दू, बांग्ला, मलयालम, कन्नड़, ओड़िया, तमिल, गुजराती, मराठी आदि भाषाओं के कई प्रतिष्ठित लेखकों को यह पुरस्कार मिल चुका है। प्रमुख नामों में शिवपूजन सहाय, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, अमृतलाल नागर, केशवचंद्र सेन, गिरीश कर्नाड, कुर्तुलैन हैदर, एम.टी. वासुदेवन नायर, कृष्णा सोबती, नामवर सिंह आदि शामिल हैं।
5. सबसे पहले यह पुरस्कार किसे दिया गया था?
उत्तर: सबसे पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार मलयालम भाषा को मिला था।
विजेता: जी. शंकर कुरुप (1965)
भाषा: मलयालम
संस्कृत भाषा को पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1970 में विष्णु श्रीधर वाकणकर को मिला था।
6. यह किन-किन भाषाओं में दिया जाता है?
उत्तर: यह पुरस्कार संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में दिया जाता है, जिनमें प्रमुख रूप से हिंदी, संस्कृत, उर्दू, बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, मराठी, मलयालम, ओड़िया आदि शामिल हैं।
7. इस पुरस्कार में क्या राशि मिलती है?
उत्तर: पुरस्कार विजेता को ₹11 लाख की नकद राशि, एक प्रशस्ति पत्र और एक वाग्देवी (सरस्वती) की कांस्य प्रतिमा दी जाती है।
8. अब तक कितने लोगों को यह पुरस्कार मिल चुका है?
उत्तर: अब तक 59 लेखकों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है।
9. विनोद कुमार शुक्ल कौन हैं?
उत्तर: विनोद कुमार शुक्ल एक प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार और कवि हैं। इनका जन्म 1 जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था। ये अपने अनूठे गद्य और काव्य लेखन के लिए जाने जाते हैं।
10. इन्हें यह पुरस्कार क्यों दिया जा रहा है?
उत्तर: विनोद कुमार शुक्ल को उनकी सृजनात्मक मौलिकता, गहन संवेदनशीलता और प्रयोगधर्मी लेखन शैली के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है। उनकी रचनाएँ आम आदमी के जीवन, उसके संघर्ष और उसकी सरलता को बेहद प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती हैं।
11. इनका नंबर कौन सा है?
उत्तर: विनोद कुमार शुक्ल इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले 59वें साहित्यकार हैं।
12. विनोद कुमार शुक्ल की कौन-कौन सी रचनाएँ विश्व प्रसिद्ध हैं?
उत्तर:
- उपन्यास: “दीवार में एक खिड़की रहती थी”, “नौकर की कमीज़”, “खिलेगा तो देखेंगे”
- कविता संग्रह: “वह आदमी नया गरम कोट पहनकर चला गया सोचता पुराना उतारकर रख दूं”, “अतिरिक्त नहीं”
- कहानी संग्रह: “सुनो खरगोश”
13. वे किस भाषा के कवि हैं?
उत्तर: वे हिंदी भाषा के कवि और लेखक हैं।
विश्लेषणात्मक निष्कर्ष:
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य का सर्वोच्च सम्मान है, जो भारतीय भाषाओं में लेखन करने वाले महान साहित्यकारों को प्रदान किया जाता है। विनोद कुमार शुक्ल का साहित्य आधुनिक हिंदी साहित्य में एक नई शैली और प्रयोगधर्मिता का प्रतीक है। उनकी कृतियाँ जीवन की सरलता और आम आदमी की संवेदनाओं को गहराई से प्रस्तुत करती हैं। उनका लेखन न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध करता है, बल्कि भारतीय समाज की वास्तविकता को भी दर्शाता है।
- स्थापना वर्ष: 1961 में भारतीय ज्ञानपीठ संस्था द्वारा।
- पहला पुरस्कार: 1965 में मलयालम लेखक जी. शंकर कुरुप को मिला।
- अब तक दिए गए पुरस्कार: 59 (2024 तक)।
- सबसे अधिक विजेता भाषा: हिंदी और कन्नड़ (11-11 बार)।
- पहली महिला विजेता: आशापूर्णा देवी (बांग्ला, 1976)।
- सबसे कम उम्र में विजेता: अमिताव घोष (2018, अंग्रेजी लेखक)।
- दो लेखकों को पहली बार: 1974 में विष्णु सक्ति पंडित (गुजराती) और उमाशंकर जोशी (गुजराती)।
- कई भाषाओं में विजेता: हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, तमिल, तेलुगु, उर्दू, मराठी, कन्नड़, ओड़िया, गुजराती आदि।
- सबसे अधिक बार कन्नड़ में: 11 बार विजेता।
- पुरस्कार राशि: ₹11 लाख, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र।
- प्रथम हिंदी विजेता: सुमित्रानंदन पंत (1968)।
- प्रथम संस्कृत विजेता: सत्यमूर्ति (1977)।
- इंग्लिश भाषा का एकमात्र विजेता: अमिताव घोष (2018)।
- पहली बार पुरस्कार की घोषणा: 1965 में।
- अब तक की सबसे हालिया विजेता (2024): विनोद कुमार शुक्ल (हिंदी)।
यहाँ हिंदी भाषा के ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की सूची उनके प्रमुख साहित्यिक कार्यों के साथ दी गई है:
- सुमित्रानंदन पंत – 1968 – चिदंबरा (काव्य संग्रह) – छायावादी और प्रगतिवादी काव्य के अद्भुत संगम के लिए
- रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – 1972 – उर्वशी (खण्डकाव्य) – पौराणिक और आधुनिक भावनाओं का अद्भुत मिश्रण
- अज्ञेय (सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन) – 1978 – कितनी नावों में कितनी बार (काव्य संग्रह) – प्रयोगवादी और नई कविता के अग्रदूत
- महादेवी वर्मा – 1982 – यम (काव्य संग्रह) – छायावाद की प्रमुख कवयित्री
- नरेश मेहता – 1992 – अरण्या (महाकाव्य) – भारतीय संस्कृति और वेदों की संवेदना को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने के लिए
- निर्मल वर्मा – 1999 – वे दिन (उपन्यास) – आधुनिक हिंदी साहित्य में मनोवैज्ञानिक यथार्थवाद के लिए
- कुँवर नारायण – 2005 – कोई दूसरा नहीं (काव्य संग्रह) – दार्शनिकता और मानवीय संवेदना की गहराई के लिए
- अमरकांत – 2009 – सूखा पत्ता (उपन्यास) – सरल भाषा में सामाजिक और यथार्थवादी लेखन
- श्रीलाल शुक्ल – 2009 – राग दरबारी (उपन्यास) – ग्रामीण भारत की राजनीतिक और सामाजिक व्यंग्यात्मक प्रस्तुति
- केदारनाथ सिंह – 2013 – अकाल में सरस (काव्य संग्रह) – आधुनिक हिंदी कविता में नवीन प्रयोगों और लोकजीवन की संवेदना के लिए
- कृष्णा सोबती – 2017 – ज़िंदगीनामा (उपन्यास) – भारतीय समाज, स्त्री विमर्श और ऐतिहासिक संदर्भों को दर्शाने वाली अनूठी रचना
- विनोद कुमार शुक्ल – 2024 – दीवार में एक खिड़की रहती थी (उपन्यास) – आम आदमी की जिंदगी और कल्पनाशीलता का अनूठा संगम
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है, जिसकी स्थापना 1961 में भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा की गई थी। यह पुरस्कार भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से किसी में भी उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी. शंकर कुरुप को दिया गया था।
नीचे 1965 से 2024 तक के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकारों की सूची उनके नाम, भाषा और वर्ष के साथ प्रस्तुत है:
- जी. शंकर कुरुप – मलयालम – 1965
- ताराशंकर बंद्योपाध्याय – बांग्ला – 1966
- के. वी. पुटप्पा (कुवेंपु) – कन्नड़ – 1967
- उमाशंकर जोशी – गुजराती – 1967
- सुमित्रानंदन पंत – हिंदी – 1968
- फिराक गोरखपुरी (रघुपति सहाय) – उर्दू – 1969
- विश्वनाथ सत्यनारायण – तेलुगु – 1970
- विष्णु डे – बांग्ला – 1971
- रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – हिंदी – 1972
- दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे – कन्नड़ – 1973
- गोपीनाथ मोहंती – उड़िया – 1973
- विष्णु सखाराम खांडेकर – मराठी – 1974
- पी. वी. अकिलान – तमिल – 1975
- आशापूर्णा देवी – बांग्ला – 1976
- शिवराम कारंथ – कन्नड़ – 1977
- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ – हिंदी – 1978
- वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य – असमिया – 1979
- एस. के. पोट्टेक्काट्ट – मलयालम – 1980
- अमृता प्रीतम – पंजाबी – 1981
- महादेवी वर्मा – हिंदी – 1982
- मास्ति वेंकटेश अयंगार – कन्नड़ – 1983
- तक्षी शिवशंकर पिल्लई – मलयालम – 1984
- पन्नालाल पटेल – गुजराती – 1985
- सच्चिदानंद राउतराय – उड़िया – 1986
- विष्णु वामन शिरवाडकर (कुसुमाग्रज) – मराठी – 1987
- सी. नारायण रेड्डी – तेलुगु – 1988
- कुर्रतुल-ऐन-हैदर – उर्दू – 1989
- विनायक कृष्ण गोकाक – कन्नड़ – 1990
- सुभाष मुखोपाध्याय – बांग्ला – 1991
- नरेश मेहता – हिंदी – 1992
- सीताकांत महापात्र – उड़िया – 1993
- यू. आर. अनंतमूर्ति – कन्नड़ – 1994
- एम. टी. वासुदेवन नायर – मलयालम – 1995
- महाश्वेता देवी – बांग्ला – 1996
- अली सरदार जाफरी – उर्दू – 1997
- गिरीश कर्नाड – कन्नड़ – 1998
- निर्मल वर्मा – हिंदी – 1999
- गुरदयाल सिंह – पंजाबी – 1999
- इंदिरा गोस्वामी – असमिया – 2000
- राजेंद्र शाह – गुजराती – 2001
- डी. जयकांतन – तमिल – 2002
- वी. के. गोपालन (ओ. एन. वी. कुरूप) – मलयालम – 2007
- अखलाक मोहम्मद खान (शहरयार) – उर्दू – 2008
- अमरकांत – हिंदी – 2009
- श्रीलाल शुक्ल – हिंदी – 2009
- चंद्रशेखर कंबार – कन्नड़ – 2010
- प्रतिभा राय – उड़िया – 2011
- रावुरी भारद्वाज – तेलुगु – 2012
- केदारनाथ सिंह – हिंदी – 2013
- भालचंद्र नेमाडे – मराठी – 2014
- रघुवीर चौधरी – गुजराती – 2015
- शंख घोष – बांग्ला – 2016
- कृष्णा सोबती – हिंदी – 2017
- अमिताव घोष – अंग्रेज़ी – 2018
- अक्कितम अच्युतन नंबूदिरी – मलयालम – 2019
- नीलमणि फूकन – असमिया – 2021
- दामोदर मौजो – कोंकणी – 2022
- रामभद्राचार्य – संस्कृत – 2023
- विनोद कुमार शुक्ल – हिंदी – 2024
1. ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चयन प्रक्रिया में निर्णायक मंडल किसके द्वारा गठित किया जाता है?
A) साहित्य अकादमी
B) भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट
C) मानव संसाधन मंत्रालय
D) राष्ट्रपति सचिवालय
उत्तर: B) भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट
2. निम्नलिखित में से कौन-सा पहला अवसर था जब ज्ञानपीठ पुरस्कार संयुक्त रूप से दो साहित्यकारों को प्रदान किया गया?
A) 1967
B) 1973
C) 1982
D) 1999
उत्तर: A) 1967 (के. वी. पुटप्पा और उमाशंकर जोशी)
3. अब तक (2024 तक) सबसे अधिक बार ज्ञानपीठ पुरस्कार किस भारतीय भाषा के साहित्यकारों को मिला है?
A) हिंदी
B) कन्नड़
C) बंगाली
D) मलयालम
उत्तर: B) कन्नड़
4. निम्नलिखित में से किस वर्ष ज्ञानपीठ पुरस्कार किसी को नहीं दिया गया था?
A) 1975
B) 1980
C) 1988
D) 1990
उत्तर: A) 1975
5. 2006 में ज्ञानपीठ पुरस्कार पहली बार किसी भारतीय शास्त्रीय भाषा में प्रदान किया गया था। यह भाषा कौन-सी थी?
A) तमिल
B) संस्कृत
C) कोंकणी
D) तेलुगु
उत्तर: B) संस्कृत (सत्यव्रत शास्त्री)
6. निम्नलिखित में से कौन-से दो ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता एक-दूसरे के समकालीन नहीं थे?
A) रामधारी सिंह ‘दिनकर’ और सुमित्रानंदन पंत
B) महाश्वेता देवी और कुर्रतुल एन हैदर
C) अमृता प्रीतम और विनोद कुमार शुक्ल
D) केदारनाथ सिंह और कृष्णा सोबती
उत्तर: C) अमृता प्रीतम और विनोद कुमार शुक्ल
7. किस ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता को उनकी कृति के कारण राजनीतिक और सामाजिक विवादों का सामना करना पड़ा?
A) महाश्वेता देवी
B) यू. आर. अनंतमूर्ति
C) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
D) शिवराम कारंथ
उत्तर: B) यू. आर. अनंतमूर्ति
8. निम्नलिखित में से किस ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता को मरणोपरांत यह सम्मान प्रदान किया गया?
A) विष्णु खांडेकर
B) निर्मल वर्मा
C) श्रीलाल शुक्ल
D) कुंवर नारायण
उत्तर: C) श्रीलाल शुक्ल
9. किस वर्ष ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाली पहली महिला साहित्यकार बनीं?
A) 1965
B) 1976
C) 1981
D) 1982
उत्तर: B) 1976 (आशापूर्णा देवी)
10. ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ प्रदान की जाने वाली देवी सरस्वती की प्रतिमा किस धातु से बनी होती है?
A) तांबा
B) कांस्य
C) चांदी
D) पीतल
उत्तर: B) कांस्य