जैव-भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycles) – MPPSC के लिए विस्तृत जानकारी
परिचय
जैव-भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycle) वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से पृथ्वी पर पोषक तत्वों (Nutrients) का भंडारण, संचलन और पुनर्चक्रण (Recycling) होता है। इस चक्र में जैविक (Biotic), अजैविक (Abiotic) और रासायनिक (Chemical) घटक आपस में जुड़े होते हैं। यह चक्र पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है, क्योंकि इससे आवश्यक तत्वों (कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, ऑक्सीजन, जल आदि) की निरंतर आपूर्ति होती रहती है।
जैव-भू-रासायनिक चक्र के प्रकार
1. गैसीय चक्र (Gaseous Cycles)
- इसमें तत्वों का संचलन वायुमंडल और जीवों के बीच होता है।
- उदाहरण: कार्बन चक्र, नाइट्रोजन चक्र, ऑक्सीजन चक्र।
2. अवसादी चक्र (Sedimentary Cycles)
- इसमें तत्वों का संचलन भूमि, जल, और चट्टानों में होता है।
- उदाहरण: फॉस्फोरस चक्र, गंधक चक्र।
3. जल चक्र (Hydrological Cycle)
- यह जल के विभिन्न रूपों में परिवर्तन और संचलन को दर्शाता है।
मुख्य जैव-भू-रासायनिक चक्र
1. जल चक्र (Water Cycle / Hydrological Cycle)
परिभाषा:
यह चक्र पृथ्वी पर जल के वाष्पीकरण (Evaporation), संघनन (Condensation), वर्षा (Precipitation), और पुनः संग्रहण (Collection) की प्रक्रिया को दर्शाता है।
प्रमुख प्रक्रियाएँ:
- वाष्पीकरण (Evaporation): जल स्रोतों (सागर, झील, नदी) से जल वाष्प में बदल जाता है।
- सांसरण (Transpiration): पौधों द्वारा जल वाष्प के रूप में छोड़ दिया जाता है।
- संघनन (Condensation): वायुमंडल में जल वाष्प ठंडा होकर बादल बनाता है।
- वर्षा (Precipitation): संघनन के बाद जल की बूंदें वर्षा के रूप में गिरती हैं।
- संग्रहण (Collection): वर्षा का जल नदियों, झीलों, भूजल के रूप में संग्रहीत होता है।
महत्व:
- जल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखता है।
2. कार्बन चक्र (Carbon Cycle)
परिभाषा:
इस चक्र में कार्बन का वायुमंडल, सजीव जीव, महासागर और मिट्टी के बीच संचलन होता है।
प्रमुख प्रक्रियाएँ:
- संदलीकरण (Fixation): पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा CO₂ को ऑर्गेनिक कार्बन में परिवर्तित करते हैं।
- श्वसन (Respiration): सजीव जीव ऑक्सीजन लेकर CO₂ छोड़ते हैं।
- अपघटन (Decomposition): मृत जीवों का अपघटन होने पर कार्बन मिट्टी में मिल जाता है।
- जल में घुलना (Dissolution): महासागर CO₂ अवशोषित कर लेते हैं।
- दहन (Combustion): जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोल) जलाने से CO₂ उत्सर्जित होता है।
महत्व:
- जलवायु संतुलन बनाए रखता है।
- प्रकाश संश्लेषण और जीवों के श्वसन में सहायक होता है।
प्रभाव:
- ग्रीनहाउस प्रभाव (Greenhouse Effect): अधिक CO₂ बढ़ने से तापमान बढ़ता है।
- कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission): औद्योगीकरण और वनों की कटाई से असंतुलन होता है।
3. नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle)
परिभाषा:
यह चक्र वायुमंडलीय नाइट्रोजन को जैविक रूप में परिवर्तित कर उसे मिट्टी और जीवों में पहुंचाता है।
प्रमुख प्रक्रियाएँ:
- नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation): वायुमंडलीय नाइट्रोजन (N₂) को नाइट्रोजन यौगिकों (NH₄⁺, NO₃⁻) में बदला जाता है।
- यह जीवाणुओं (राइजोबियम, एजोटोबैक्टर) द्वारा किया जाता है।
- नाइट्रीकरण (Nitrification): अमोनिया (NH₄⁺) को नाइट्राइट (NO₂⁻) और फिर नाइट्रेट (NO₃⁻) में बदला जाता है।
- अवशोषण (Assimilation): पौधे नाइट्रेट्स को अवशोषित कर प्रोटीन में बदलते हैं।
- अपघटन (Ammonification): मृत जीवों से नाइट्रोजन यौगिक फिर मिट्टी में लौटते हैं।
- डी-नाइट्रीकरण (Denitrification): नाइट्रेट्स वापस वायुमंडल में नाइट्रोजन गैस (N₂) में बदल जाते हैं।
महत्व:
- यह अमीनो एसिड, प्रोटीन और DNA के निर्माण में सहायक होता है।
- मृदा की उर्वरता बनाए रखता है।
प्रभाव:
- अत्यधिक नाइट्रेट जल में जाने से यूट्रोफिकेशन (Eutrophication) होता है।
4. फॉस्फोरस चक्र (Phosphorus Cycle)
परिभाषा:
यह चक्र पृथ्वी की चट्टानों, मिट्टी, जल और जीवों के बीच फॉस्फोरस का संचलन दर्शाता है।
प्रमुख प्रक्रियाएँ:
- अपक्षय (Weathering): चट्टानों से फॉस्फेट (PO₄³⁻) निकलता है और मिट्टी में जाता है।
- अवशोषण (Absorption): पौधे मिट्टी से फॉस्फेट अवशोषित करते हैं।
- अपघटन (Decomposition): मृत जीवों का अपघटन मिट्टी में फॉस्फेट वापस पहुंचाता है।
- अवसादन (Sedimentation): फॉस्फेट महासागरों में जमा होकर चट्टानों में परिवर्तित होता है।
महत्व:
- यह DNA, RNA, ATP और हड्डियों का निर्माण करता है।
- मिट्टी की उर्वरता बनाए रखता है।
प्रभाव:
- अत्यधिक फॉस्फेट से जलीय पारिस्थितिकी असंतुलित हो सकता है।
5. गंधक चक्र (Sulfur Cycle)
परिभाषा:
यह चक्र गंधक (Sulfur) के जैविक और अजैविक रूपों के बीच संचलन को दर्शाता है।
प्रमुख प्रक्रियाएँ:
- गंधक का मुक्त होना (Release of Sulfur): ज्वालामुखी और अपघटन से गंधक निकलता है।
- अवशोषण (Absorption): पौधे मिट्टी से सल्फेट (SO₄²⁻) लेते हैं।
- अपघटन (Decomposition): जीवों की मृत्यु के बाद गंधक मिट्टी में लौटता है।
- वायुमंडलीय गंधक (Atmospheric Sulfur): जीवाश्म ईंधन के जलने से SO₂ निकलता है, जो अम्लीय वर्षा (Acid Rain) का कारण बनता है।
महत्व:
- यह प्रोटीन, एंजाइम और विटामिन का हिस्सा है।
प्रभाव:
- SO₂ के अधिक उत्सर्जन से अम्लीय वर्षा होती है।
निष्कर्ष
जैव-भू-रासायनिक चक्र पर्यावरण में आवश्यक तत्वों के संतुलन को बनाए रखते हैं। MPPSC परीक्षा में इन चक्रों से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, जैसे –
- कार्बन चक्र में मुख्य प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं?
- नाइट्रोजन स्थिरीकरण कौन-कौन से जीवाणु करते हैं?
- अम्लीय वर्षा में कौन-सा तत्व प्रमुख होता है?
इन चक्रों की गहरी समझ से परीक्षा में सफलता प्राप्त की जा सकती है।