जहांगीर: मुगल साम्राज्य का सौंदर्यप्रिय सम्राट
जहांगीर का परिचय
- पूरा नाम: नूरुद्दीन मुहम्मद जहांगीर
- जन्म: 31 अगस्त 1569, फतेहपुर सीकरी
- मृत्यु: 28 अक्टूबर 1627, भीमबर (कश्मीर से लौटते समय)
- राज्याभिषेक: 1605 ई. (अकबर की मृत्यु के बाद)
- राजधानी: आगरा और लाहौर
- पिता: अकबर
- माता: जोधाबाई (मरियम-उज़-ज़मानी)
- पत्नी: नूरजहां (सबसे प्रभावशाली), माण बाई, जगत गोसाईं आदि
- उत्तराधिकारी: शाहजहां
जहांगीर अकबर का पुत्र और मुगल साम्राज्य का चौथा शासक था। वह कला, सौंदर्य, न्याय और शराब प्रेमी के रूप में प्रसिद्ध था।
जहांगीर के शासनकाल में साम्राज्य का विस्तार
जहांगीर ने अपने शासनकाल में मुगल साम्राज्य को स्थिर रखा और दक्षिण भारत में कुछ क्षेत्र जोड़ने का प्रयास किया।
- कांगड़ा (1615) – हिमाचल प्रदेश का यह किला मुगलों के अधीन आया।
- मेवाड़ (1615) – महाराणा अमर सिंह ने मुगलों की अधीनता स्वीकार की।
- अहमदनगर (1616) – मलिक अंबर से संघर्ष, परंतु पूर्ण विजय नहीं मिली।
- बंगाल और उड़ीसा (1612-1622) – स्थानीय विद्रोहों को दबाया।
- कंधार (1622) – शाह अब्बास (ईरान) ने इसे छीन लिया।
जहांगीर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध और विद्रोह
- ख़ुसरो का विद्रोह (1606)
- जहांगीर के बेटे ख़ुसरो ने गुरु अर्जुन देव (सिखों के पाँचवें गुरु) की सहायता से विद्रोह किया।
- विद्रोह असफल हुआ, ख़ुसरो को अंधा कर दिया गया और गुरु अर्जुन देव को मृत्युदंड दिया गया।
- मेवाड़ अभियान (1615)
- प्रतिद्वंदी: महाराणा अमर सिंह
- परिणाम: संधि के तहत अमर सिंह ने अधीनता स्वीकार की।
- कंधार का युद्ध (1622)
- प्रतिद्वंदी: फारस का शाह अब्बास
- परिणाम: मुगलों की हार, कंधार पर फारसियों का कब्जा।
- प्रिंस खुर्रम (शाहजहां) का विद्रोह (1622-1625)
- शाहजहां ने विद्रोह किया, लेकिन अंततः हारकर माफी मांग ली।
जहांगीर के शासनकाल में साहित्य और किताबें
- तुजुक-ए-जहांगीरी – जहांगीर की आत्मकथा (फ़ारसी में लिखी गई)।
- पद्मावत – मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित यह ग्रंथ जहांगीर के समय भी प्रसिद्ध था।
- जहांगीरनामा – जहांगीर के शासनकाल से जुड़े घटनाक्रम।
- गुरु अर्जुन देव का ‘आदि ग्रंथ’ (1604) – सिख धर्मग्रंथ का संकलन हुआ।
जहांगीर के शासनकाल में स्थापत्य कला और भवन
जहांगीर के शासनकाल में कला और स्थापत्य के प्रति गहरी रुचि दिखाई दी।
- जहांगीर का मकबरा (लाहौर, पाकिस्तान)
- नूरजहां का मकबरा (लाहौर, पाकिस्तान)
- मोती मस्जिद (लाहौर किले में)
- शालीमार बाग (कश्मीर) – मुगल बागवानी कला का उत्कृष्ट उदाहरण।
- खुसरो बाग (इलाहाबाद) – जहांगीर के विद्रोही पुत्र खुसरो का मकबरा।
जहांगीर के शासनकाल में विशेष व्यक्ति
- नूरजहां – जहांगीर की सबसे प्रभावशाली पत्नी, जिन्होंने शासन में हस्तक्षेप किया।
- मलिक अंबर – अहमदनगर के निज़ाम का वजीर, जिसने मुगलों का डटकर मुकाबला किया।
- गुरु अर्जुन देव – सिखों के पाँचवें गुरु, जिन्हें जहांगीर ने मृत्युदंड दिया।
- प्रिंस खुसरो – जहांगीर का बड़ा बेटा, जिसने विद्रोह किया था।
- शाहजहां (प्रिंस खुर्रम) – जहांगीर का पुत्र, जो बाद में मुगल सम्राट बना।
जहांगीर द्वारा स्थापित विशेष शहर और स्थान
- शालीमार बाग (कश्मीर) – मुगलों के ग्रीष्मकालीन निवास के लिए।
- लाहौर – कला और स्थापत्य का केंद्र बनाया गया।
- इलाहाबाद – विद्रोही खुसरो को परास्त करने के बाद यहां महत्व बढ़ा।
जहांगीर के विशेष कार्य
- न्यायप्रिय शासक – “ज़ंजीर-ए-अदालत” (न्याय की जंजीर) लगवाई ताकि आम लोग अपनी शिकायतें सीधे सम्राट तक पहुँचा सकें।
- चित्रकला का उत्कर्ष – मुगल चित्रकला अपने शिखर पर पहुँची।
- सिक्का जारी किया – नूरजहां के नाम से सोने-चाँदी के सिक्के ढलवाए।
- विदेशी व्यापार को बढ़ावा – ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में व्यापार की अनुमति दी (1615)।
- सिख धर्म से संघर्ष – गुरु अर्जुन देव को मृत्युदंड दिया, जिससे सिखों में असंतोष बढ़ा।
जहांगीर का परिवार
- पिता: अकबर
- माता: जोधाबाई
- पत्नी: नूरजहां, माण बाई, जगत गोसाईं
- बेटे: शाहजहां (खुर्रम), खुसरो, परवेज आदि।
जहांगीर की मृत्यु और उत्तराधिकारी
- मृत्यु: 28 अक्टूबर 1627 (शराब और अफीम की अधिकता के कारण)।
- स्थान: कश्मीर से लौटते समय भीमबर में निधन।
- उत्तराधिकारी: शाहजहां (खुर्रम) ने 1628 में गद्दी संभाली।
निष्कर्ष
जहांगीर एक न्यायप्रिय, कला प्रेमी और विलासी शासक था। उसने अपने शासनकाल में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखी, लेकिन फारस से कंधार हार गया। उसकी सबसे प्रभावशाली पत्नी नूरजहां ने शासन में गहरी भूमिका निभाई। जहांगीर के शासनकाल में मुगल चित्रकला, स्थापत्य और प्रशासनिक सुधारों को बढ़ावा मिला।