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जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290-1296 ई.) – खिलजी वंश का संस्थापक
परिचय
- पूरा नाम: जलालुद्दीन फिरोज खिलजी
- वंश: खिलजी वंश
- राज्यकाल: 1290-1296 ई.
- पिता: अज्ञात (खिलजी तुर्क जाति से संबंधित)
- मृत्यु: 1296 ई. (अलाउद्दीन खिलजी ने हत्या करवाई)
खिलजी वंश की स्थापना
- जलालुद्दीन फिरोज खिलजी पहले गुलाम वंश के अंतिम सुल्तान कैकुबाद (1287-1290 ई.) का सेनापति था।
- गुलाम वंश कमजोर हो गया था और दरबार में तुर्की अमीरों के बीच संघर्ष चल रहा था।
- 1290 ई. में जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने कैकुबाद को हराकर और उसकी हत्या कर खिलजी वंश की स्थापना की।
- यह दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था जो गैर-तुर्क (अफगान मूल का) था।
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का साम्राज्य
- जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का राज्य उत्तर भारत के बड़े हिस्से तक फैला था, जिसमें
- दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और राजस्थान के कुछ हिस्से शामिल थे।
- उसने अपनी राजधानी पहले दिल्ली रखी, लेकिन बाद में किलोकरी (दिल्ली के पास) में एक नया किला बनवाया और वहीं शासन किया।
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी के प्रमुख युद्ध
1. मलिक छज्जू का विद्रोह (1290 ई.)
- मलिक छज्जू गुलाम वंश के शासक कैकुबाद का रिश्तेदार था।
- उसने दिल्ली के खिलाफ विद्रोह किया और जलालुद्दीन से युद्ध लड़ा।
- जलालुद्दीन ने उसे हराकर पराजित किया लेकिन उसे मारने के बजाय माफ कर दिया।
2. रणथंभौर का युद्ध (1291 ई.)
- रणथंभौर (राजस्थान) के राजपूत शासक हम्मीर देव चौहान ने खिलजी शासन को चुनौती दी।
- जलालुद्दीन ने उसके खिलाफ सेना भेजी लेकिन कोई निर्णायक जीत नहीं मिली।
3. मंगोल आक्रमण (1292 ई.)
- मंगोल सेना ने पंजाब पर हमला किया।
- जलालुद्दीन ने डूंगरपुर (राजस्थान) के पास मंगोलों को हराया और उनके नेता ‘अब्दुल्ला’ को इस्लाम धर्म स्वीकार करने पर मजबूर किया।
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी के कार्य और नीतियाँ
1. उदार शासन प्रणाली
- उसने अमीरों और सैनिकों के साथ अच्छा व्यवहार किया।
- गुलाम वंश के शासकों के परिवारों को सम्मान दिया और उनकी हत्या नहीं करवाई।
2. मंगोलों के साथ शांतिपूर्ण संबंध
- जलालुद्दीन ने मंगोल आक्रमण के बाद मंगोलों के साथ मित्रता बनाए रखी।
- कई मंगोलों को दिल्ली में बसने की अनुमति दी।
3. कर नीति में नरमी
- उसने किसानों पर कम कर लगाया और व्यापार को बढ़ावा दिया।
- सेना में पुराने तुर्क अधिकारियों को ही रखा जिससे सत्ता में स्थिरता बनी रहे।
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी से संबंधित साहित्य और किताबें
- उसके शासनकाल में कोई बड़ा साहित्यिक कार्य नहीं हुआ, लेकिन उसके समय के प्रमुख लेखक थे:
- मिन्हाज-ए-सिराज – गुलाम वंश के इतिहास पर लिखा, जलालुद्दीन का जिक्र किया।
- अमीर खुसरो – बाद में अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में प्रसिद्ध हुए।
- जियाउद्दीन बरनी – तारीख-ए-फिरोजशाही में जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का वर्णन किया।
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी की स्थापत्य कला और निर्माण कार्य
- उसने कोई बड़ा स्मारक या मस्जिद नहीं बनवाई।
- उसने दिल्ली के पास ‘किलोकरी किला’ बनवाया और इसे अपनी राजधानी बनाया।
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का अंत
- उसका भतीजा अलाउद्दीन खिलजी (गुजरात अभियान से लौटने के बाद) धोखे से उसे मारने की योजना बनाने लगा।
- 1296 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने जलालुद्दीन को बुलाकर धोखे से उसकी हत्या कर दी।
- इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया और खिलजी वंश का नया सुल्तान बना।
निष्कर्ष
- जलालुद्दीन फिरोज खिलजी दिल्ली सल्तनत का पहला गैर-तुर्क शासक था।
- उसने शांति और उदारता की नीति अपनाई, लेकिन ज्यादा कठोर न होने के कारण कमजोर साबित हुआ।
- उसके शासनकाल में कोई बड़ा साहित्य या स्थापत्य निर्माण नहीं हुआ।
- अंततः, उसके भतीजे अलाउद्दीन खिलजी ने उसे धोखे से मारकर सत्ता हथिया ली।