चंद्रयान-3: भारत का सबसे सफल चंद्र मिशन
1. मिशन की शुरुआत और उद्देश्य
चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्र मिशन था, जिसे ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) द्वारा विकसित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना और वहां की सतह, खनिज तत्वों और तापमान का अध्ययन करना था।
2. प्रक्षेपण और समयरेखा
- प्रक्षेपण की तारीख: 14 जुलाई 2023
- प्रक्षेपण स्थल: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)
- प्रक्षेपण यान: LVM3-M4 (GSLV Mk III)
- चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश: 5 अगस्त 2023
- सॉफ्ट लैंडिंग: 23 अगस्त 2023
- अवधि: लगभग 40 दिन में चंद्रमा तक पहुँचा
3. चंद्रयान-3 के घटक
इस मिशन में दो मुख्य घटक थे:
- लैंडर (विक्रम) – चंद्रमा की सतह पर उतरने और डेटा भेजने के लिए।
- रोवर (प्रज्ञान) – चंद्रमा की सतह पर घूमकर वहां की मिट्टी और खनिजों का अध्ययन करने के लिए।
चंद्रयान-2 की असफलताओं से सीख लेते हुए इस मिशन में कोई ऑर्बिटर शामिल नहीं किया गया।
4. मिशन के प्रमुख उद्देश्य
- सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना।
- चंद्रमा की सतह पर मौजूद खनिजों और मिट्टी की संरचना का अध्ययन करना।
- चंद्रमा के तापमान, भूकंपीय गतिविधियों और सौर विकिरण का विश्लेषण करना।
- चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी को और गहराई से समझना।
5. प्रमुख वैज्ञानिक उपकरण और खोजें
- लैंडर (विक्रम) में 4 वैज्ञानिक उपकरण लगे थे, जो चंद्रमा की सतह पर तापमान और भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन कर रहे थे।
- रोवर (प्रज्ञान) में 2 वैज्ञानिक उपकरण लगे थे, जो मिट्टी के खनिज तत्वों का विश्लेषण कर रहे थे।
- चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर सल्फर और अन्य खनिजों की मौजूदगी की पुष्टि की।
- चंद्रमा की सतह का तापमान मापा, जिससे चंद्रमा की जलवायु को समझने में मदद मिली।
6. मिशन की सफलता और ऐतिहासिक उपलब्धि
- भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला पहला देश बना।
- इससे पहले केवल अमेरिका, रूस और चीन ही चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए थे।
- विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने 14 दिनों तक सफलतापूर्वक काम किया और बहुत महत्वपूर्ण डेटा भेजा।
- चंद्रमा की रात शुरू होने पर (जहां तापमान -200 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है), रोवर और लैंडर निष्क्रिय हो गए।
7. मिशन से जुड़े प्रमुख व्यक्ति
- ISRO प्रमुख: डॉ. एस. सोमनाथ
- मिशन निदेशक: पी. वीरमुथुवेल
- लैंडर सिस्टम निदेशक: एस. मोहन कुमार
8. मिशन की लागत और अवधि
- मिशन की कुल लागत: 615 करोड़ रुपये (यह दुनिया का सबसे किफायती चंद्र मिशन था)।
- ऑपरेशन की अवधि: 14 दिन (चंद्र दिवस) तक रोवर और लैंडर ने काम किया।
9. चंद्रयान-3 से मिली सीखें और भविष्य के मिशन
- इस मिशन की सफलता से भविष्य में चंद्रयान-4 और गगनयान जैसे मिशनों की राह आसान हो गई।
- भारत अब मानव मिशन के लिए चंद्रमा पर एक स्थायी स्टेशन बनाने की योजना बना रहा है।
निष्कर्ष
चंद्रयान-3 भारत का सबसे सफल चंद्र मिशन था, जिसने भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नई ऊँचाई पर पहुँचा दिया। इस मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरकर इतिहास रच दिया और भारत को चंद्र अनुसंधान में एक अग्रणी राष्ट्र बना दिया।