चंद्रयान-2: भारत का दूसरा चंद्र मिशन
1. मिशन की शुरुआत और उद्देश्य
चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्र मिशन था, जिसे ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) द्वारा विकसित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और वहां की सतह, खनिज संरचना, जल-अणुओं और वातावरण का अध्ययन करना था।
2. प्रक्षेपण और समयरेखा
- प्रक्षेपण की तारीख: 22 जुलाई 2019
- प्रक्षेपण स्थल: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)
- प्रक्षेपण यान: GSLV Mk III-M1 (ISRO का सबसे शक्तिशाली रॉकेट)
- चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश: 20 अगस्त 2019
- लैंडर (विक्रम) के चंद्रमा पर उतरने की कोशिश: 6 सितंबर 2019
3. चंद्रयान-2 के घटक
चंद्रयान-2 में तीन मुख्य घटक थे:
- ऑर्बिटर – चंद्रमा की परिक्रमा करने और डेटा भेजने के लिए।
- लैंडर (विक्रम) – चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए।
- रोवर (प्रज्ञान) – चंद्रमा की सतह पर चलकर अध्ययन करने के लिए।
4. मिशन के प्रमुख उद्देश्य
- चंद्रमा की सतह की संरचना और खनिज तत्वों का अध्ययन करना।
- चंद्रमा के वातावरण और जल-अणुओं की उपस्थिति की पुष्टि करना।
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर संभावित भविष्य के मिशनों के लिए डेटा एकत्र करना।
5. चंद्रयान-2 के प्रमुख वैज्ञानिक उपकरण और खोजें
- ऑर्बिटर में 8 वैज्ञानिक उपकरण लगे थे, जो चंद्रमा की सतह और वातावरण का अध्ययन कर रहे हैं।
- लैंडर में 3 वैज्ञानिक उपकरण थे, जो भूकंपीय गतिविधियों और तापमान का अध्ययन करने वाले थे।
- रोवर (प्रज्ञान) में 2 वैज्ञानिक उपकरण थे, जो चंद्रमा की मिट्टी और खनिज तत्वों का विश्लेषण करने वाले थे।
6. मिशन की असफलता और उपलब्धियाँ
- चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया और अब भी काम कर रहा है।
- लैंडर “विक्रम” को 6 सितंबर 2019 को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, लेकिन यह संपर्क टूटने के कारण सफल नहीं हो सका।
- हालांकि, ऑर्बिटर ने बहुत महत्वपूर्ण डेटा भेजा, जिससे भारत का अंतरिक्ष अध्ययन आगे बढ़ा।
7. मिशन से जुड़े प्रमुख व्यक्ति
- ISRO प्रमुख: डॉ. के. सिवन
- मिशन निदेशक: रितु करिधाल
- लैंडर प्रणाली निदेशक: एस. वनीता
8. मिशन की लागत और अवधि
- मिशन की कुल लागत: लगभग 978 करोड़ रुपये
- ऑर्बिटर की कार्यक्षमता: 7 साल तक काम करने में सक्षम (अब भी डेटा भेज रहा है)।
9. चंद्रयान-2 से मिली सीखें
- इस मिशन की असफलताओं से मिली सीखों का उपयोग चंद्रयान-3 मिशन को और अधिक सटीक बनाने में किया गया।
- विक्रम लैंडर की विफलता के कारणों का विश्लेषण किया गया और चंद्रयान-3 में सुधार किए गए, जिससे यह सफल हुआ।
निष्कर्ष
हालांकि चंद्रयान-2 का लैंडर चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक नहीं उतर सका, लेकिन इस मिशन ने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इस मिशन से मिली जानकारी ने चंद्रयान-3 की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।