चंद्रगुप्त मौर्य: जीवन परिचय
कौन था?
चंद्रगुप्त मौर्य प्राचीन भारत के महान शासकों में से एक थे और मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे।
किसे हराकर साम्राज्य की स्थापना की?
- चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के अंतिम शासक घनानंद को पराजित कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
- उन्होंने सिकंदर के उत्तराधिकारी सेल्युकस निकेटर को भी हराया।
साम्राज्य की अवधि
- ई.पू. 321 – ई.पू. 297
चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य: विस्तार और वर्तमान स्थिति
1. चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य कहाँ तक फैला था?
- चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य भारत के सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक था, जो उत्तर-पश्चिम से लेकर दक्षिण भारत तक फैला हुआ था।
- उनके शासनकाल में मौर्य साम्राज्य की सीमाएँ हिंदूकुश पर्वत (अफगानिस्तान) से लेकर बंगाल और दक्षिण में कर्नाटक तक फैली हुई थीं।
- उन्होंने नंद वंश को पराजित करके पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, बिहार) में सत्ता स्थापित की।
- इसके बाद उन्होंने सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर को हराकर सिंधु नदी और अफगानिस्तान तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
- चंद्रगुप्त ने बाद में दक्षिण भारत में भी विजय प्राप्त की और नर्मदा नदी के पार कर्नाटक और आंध्र प्रदेश तक अपने साम्राज्य को बढ़ाया।
- उनका साम्राज्य पश्चिम में अफगानिस्तान और बलूचिस्तान से लेकर, पूर्व में बंगाल और असम तक फैला था।
2. मौर्य साम्राज्य के प्रमुख क्षेत्र (वर्तमान संदर्भ में):
चंद्रगुप्त मौर्य के समय का साम्राज्य वर्तमान के कई देशों में फैला हुआ था।
आज यह साम्राज्य भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, भूटान और ईरान के कुछ हिस्सों तक फैला होता।
- उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र (वर्तमान पाकिस्तान और अफगानिस्तान)
- गांधार (अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान का हिस्सा)
- तक्षशिला (अब पाकिस्तान में)
- बलूचिस्तान और हिंदूकुश (अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान में)
- उत्तर भारत (वर्तमान भारत)
- पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार
- पाटलिपुत्र (अब पटना, बिहार) उनकी राजधानी थी
- मथुरा, उज्जैन, काशी जैसे प्रमुख नगर मौर्य साम्राज्य का हिस्सा थे
- पूर्वी भारत (वर्तमान भारत और बांग्लादेश)
- बंगाल और असम (अब पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और असम)
- दक्षिण भारत (वर्तमान भारत)
- कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु के कुछ हिस्से
- पश्चिमी भारत (वर्तमान भारत और पाकिस्तान)
- राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश
- सिंधु घाटी क्षेत्र (अब पाकिस्तान में)
3. वर्तमान स्थिति (Present-Day Status)
- चंद्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य का अधिकांश भाग आज विभिन्न देशों में विभाजित हो चुका है।
- वर्तमान में मौर्य साम्राज्य का सबसे बड़ा हिस्सा भारत में स्थित है, जहाँ बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, असम और कर्नाटक तक इसका प्रभाव था।
- पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के कुछ हिस्से भी कभी चंद्रगुप्त मौर्य के नियंत्रण में थे, लेकिन अब ये अलग देश हैं।
- उनकी राजधानी पाटलिपुत्र (पटना, बिहार) आज भी भारत का प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्र है।
- तक्षशिला (अब पाकिस्तान में) और गांधार क्षेत्र (अफगानिस्तान-पाकिस्तान) अब भारतीय प्रशासन से बाहर हैं।
- नेपाल और भूटान के कुछ क्षेत्रों पर भी मौर्य साम्राज्य का प्रभाव था।
- चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य तब का सबसे बड़ा और संगठित भारतीय साम्राज्य था, जिसने भारत को एक मजबूत राजनीतिक ढांचे में बाँधा।
- आज उनका साम्राज्य कई देशों में विभाजित हो चुका है, लेकिन भारत में उनके योगदान को ऐतिहासिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
- मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था और आर्थिक सुधार आज भी भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय माने जाते हैं।
महत्वपूर्ण कार्य
- केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की।
- विशाल सेना का गठन किया।
- अर्थव्यवस्था को मजबूत किया और कर प्रणाली लागू की।
- व्यापार एवं कृषि को बढ़ावा दिया।
- पाटलिपुत्र को राजधानी बनाया और इसे विकसित किया।
- अपने शासनकाल में सड़कें, सिंचाई और व्यापार मार्ग बनाए।
- न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ किया।
महत्वपूर्ण युद्ध
- नंद वंश के खिलाफ युद्ध (ई.पू. 321) – घनानंद को हराकर सत्ता प्राप्त की।
- सेल्यूकस निकेटर के खिलाफ युद्ध (ई.पू. 305) – ग्रीक आक्रमण को रोका और संधि कर सेल्यूकस की बेटी से विवाह किया।
- कई जनजातीय और छोटे राज्यों के खिलाफ युद्ध – पूरे उत्तर भारत पर अधिकार जमाया।
मृत्यु
- जैन धर्म अपनाने के बाद उन्होंने श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में संन्यास लिया और कथित रूप से संथारा (अनशन) द्वारा मृत्यु को प्राप्त हुए।
पारिवारिक जानकारी
- पुत्र: बिंदुसार (अगला मौर्य शासक)
- पत्नी: सेल्यूकस निकेटर की पुत्री (ऐतिहासिक प्रमाण संदिग्ध)
- वंशज: अशोक महान (उनका पोता)
विशेष तथ्य
- पहला शासक जिसने लगभग पूरे भारत को एक किया।
- अर्थशास्त्र के लेखक चाणक्य उनके गुरु थे।
- विदेशी यात्री मेगस्थनीज उनके दरबार में आया और “इंडिका” लिखी।
- जैन धर्म की दीक्षा ली और अंत में जैन संन्यासी बन गए।
गुरु चाणक्य और उनकी भूमिका
- चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त भी कहा जाता है, चंद्रगुप्त के मार्गदर्शक थे।
- उन्होंने अर्थशास्त्र ग्रंथ लिखा, जिसमें राजनीति, अर्थव्यवस्था और प्रशासन के सिद्धांत दिए गए हैं।
- नंद वंश के घनानंद के खिलाफ विद्रोह में चंद्रगुप्त का साथ दिया।
धार्मिक और आध्यात्मिक विकास
- शासन के उत्तरार्ध में जैन धर्म अपनाया।
- आचार्य भद्रबाहु से दीक्षा ली।
- श्रवणबेलगोला में अंतिम समय बिताया।
- चंद्रगुप्त मौर्य की सेना में लगभग 6,00,000 पैदल सैनिक, 30,000 घुड़सवार और 9,000 हाथी थे।
- वे पहले भारतीय शासक थे जिन्होंने विदेशी शक्ति (सेल्यूकस निकेटर) के साथ संधि की और काबुल, कंधार, हेरात व बलूचिस्तान पर अधिकार किया।
- उनका शासन गुप्तचर (जासूसी) प्रणाली पर आधारित था, जिसे चाणक्य ने विकसित किया था।
- उन्होंने सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस को हराकर उसकी बेटी से विवाह किया (हालांकि ऐतिहासिक रूप से विवादित)।
- मौर्य साम्राज्य का राजकीय प्रतीक सिंहचतुर्मुख (चारमुखी सिंह) था, जिसे बाद में भारत ने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया।
- उनकी राजधानी पाटलिपुत्र में लकड़ी के विशाल किले थे, जिन्हें मेगस्थनीज ने “इंडिका” में वर्णित किया।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष कर्नाटक में बिताए और श्रवणबेलगोला में संथारा (अन्न-जल त्यागकर समाधि) ली।
- उन्होंने दक्षिण भारत की तरफ कोई भी आक्रमण नहीं किया, जबकि उनका साम्राज्य लगभग पूरे उत्तरी और मध्य भारत तक फैला था।
- उनके शासनकाल में व्यापार मार्गों का विकास हुआ, जिससे सिल्क रूट जैसी महत्वपूर्ण व्यापारिक सड़कों की नींव पड़ी।
- चंद्रगुप्त के समय भारत में चांदी और तांबे के सिक्के प्रचलित थे, जिन पर मौर्य चिह्न अंकित होते थे।
- चंद्रगुप्त मौर्य पहले भारतीय शासक थे जिन्होंने समुद्री व्यापार को बढ़ावा दिया, जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया तक भारतीय व्यापार पहुँचा।
- उन्होंने अपने शासनकाल में वृक्षों की कटाई पर प्रतिबंध लगाया और जल संरक्षण के लिए कदम उठाए।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने “अखंड भारत” की संकल्पना को वास्तविक रूप दिया, जिसमें वर्तमान भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और नेपाल के कुछ हिस्से शामिल थे।
- उन्होंने मौर्य प्रशासन में “राजूकाश” (गवर्नर), “महामात्र” (विशेष अधिकारी) और “धर्ममहामात्र” (धार्मिक मामलों के अधिकारी) जैसे पदों की स्थापना की।
- चंद्रगुप्त की गुप्तचर प्रणाली इतनी मजबूत थी कि वह अपने शासन में होने वाली गतिविधियों की सूचनाएँ गुप्तचरों के माध्यम से खुद प्राप्त करते थे।
- उनके समय में कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकारी भूमि पर किसानों को बसाया गया और सिंचाई व्यवस्था में सुधार किया गया।
- उन्होंने पाटलिपुत्र में पहली संगठित पुलिस व्यवस्था लागू की, जिससे अपराध नियंत्रण संभव हुआ।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने शासन में हाथियों को युद्ध के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया, जिससे उनकी सेना अजेय बनी।
- वे पहले शासक थे जिन्होंने सेना और नागरिक प्रशासन को अलग-अलग रखा, जिससे प्रशासन में दक्षता आई।
- इतिहासकारों के अनुसार, उनके शासनकाल में भारत की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत थी कि कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रहता था और व्यापार चरम पर था।
- मौर्यकाल में पहली बार सार्वजनिक अस्पतालों और धर्मशालाओं का निर्माण किया गया, जहाँ गरीबों को निःशुल्क इलाज मिलता था।
- उन्होंने अफगानिस्तान से बंगाल तक एक महान राजमार्ग (उत्तरापथ) बनवाया, जिससे व्यापार और प्रशासन सुगम हुआ।
- चंद्रगुप्त मौर्य के समय में “नगर व्यवस्था” को विकसित किया गया, जहाँ नगरों में अलग-अलग विभाग बनाए गए।
- वे पहले शासक थे जिन्होंने विदेशी राजदूतों (जैसे मेगस्थनीज) को अपने दरबार में आमंत्रित किया, जिससे भारत की जानकारी ग्रीस तक पहुँची।
- चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में भारत कपास और मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक देश था।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने शासनकाल में युद्ध हाथियों का सबसे बड़ा दस्ता बनाया, जिससे उनकी सेना दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक बनी।
- उनके शासन में भारतीय कृषि कर (भू-राजस्व) की एक सुव्यवस्थित प्रणाली लागू की गई, जिसमें किसानों से कुल उपज का एक निश्चित भाग कर के रूप में लिया जाता था।
- उन्होंने न्यायिक प्रणाली को विकसित किया, जिसमें अपराधों के लिए कठोर दंड का प्रावधान था, लेकिन साथ ही गरीबों और व्यापारियों को विशेष सुरक्षा दी गई।
- चंद्रगुप्त मौर्य के शासन में स्वतंत्र व्यापारियों, कारीगरों और किसानों को व्यापार और कृषि के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिससे अर्थव्यवस्था फलने-फूलने लगी।
- उनके शासनकाल में पहली बार संगठित डाक प्रणाली विकसित की गई, जिससे सरकारी संदेश और व्यापारी पत्राचार तेज़ी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचता था।
- चंद्रगुप्त मौर्य के समय भारत में विश्व के सबसे उन्नत शहरों में से एक पाटलिपुत्र था, जहाँ संगठित जल निकासी प्रणाली और चौड़ी सड़कें थीं।
- उन्होंने समुद्री व्यापार मार्गों को विकसित करने के लिए बंदरगाहों का निर्माण करवाया, जिससे दक्षिण भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों से व्यापार बढ़ा।
- उनके काल में पाटलिपुत्र विश्व के सबसे समृद्ध नगरों में गिना जाता था, जहाँ विदेशी व्यापारी भी व्यापार करने आते थे।
- चंद्रगुप्त ने प्रशासनिक व्यवस्था को इस प्रकार संगठित किया कि प्रत्येक क्षेत्र में एक विशेष अधिकारी (गोप) नियुक्त किया गया, जो कर संग्रह और प्रशासन का कार्य संभालता था।
- वे पहले भारतीय सम्राट थे जिन्होंने अलग-अलग धर्मों के प्रति सहिष्णुता दिखाई, हालाँकि उनके शासनकाल में मुख्य रूप से वैदिक धर्म प्रचलित था।
- चंद्रगुप्त मौर्य के समय मौर्य सेना में कुल 9,000 युद्ध हाथी थे, जो किसी भी आक्रमणकारी सेना के लिए सबसे बड़ी चुनौती थे।
- उन्होंने व्यापार मार्गों की सुरक्षा के लिए विशेष सैनिक टुकड़ियों की स्थापना की, ताकि व्यापारियों को डाकुओं और विदेशी आक्रमणकारियों से बचाया जा सके।
- उनके शासनकाल में सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष लगाए गए, जिससे यात्रियों को गर्मी से बचाव मिल सके।
- चंद्रगुप्त मौर्य के शासन में राज्य द्वारा नहरें खुदवाई गईं और जलाशयों का निर्माण किया गया, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई।
- उन्होंने अपने गुरु चाणक्य के परामर्श से एक मजबूत नौसेना का निर्माण किया, जिससे समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकी।
- उनके शासनकाल में सुनियोजित शहरों की अवधारणा लागू की गई, जहाँ नगरों को प्रशासनिक, आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया।
- चंद्रगुप्त ने अपने शासन के दौरान राजकीय मुद्राएँ जारी कीं, जिनमें चांदी और तांबे के सिक्के सबसे प्रमुख थे।
- उन्होंने सार्वजनिक भंडारण (गोदामों) की स्थापना की, ताकि अकाल के समय लोगों को खाद्यान्न की कमी न हो।
- उनके शासनकाल में पहली बार “युद्ध परिषद” (War Council) की स्थापना की गई, जिसमें सेना के संचालन और विस्तार की योजनाएँ बनाई जाती थीं।
- चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में श्रमिकों और शिल्पकारों के लिए विशेष सुविधाएँ दी गईं, ताकि वे राजकीय निर्माण कार्यों में योगदान दे सकें।
- वे पहले भारतीय शासक थे जिन्होंने विदेशों में भारतीय संस्कृति और व्यापार को फैलाने के लिए दूतावास स्थापित किए।
- उनके शासनकाल में महान बौद्ध और जैन तीर्थस्थलों के निर्माण की शुरुआत हुई, हालाँकि उन्होंने स्वयं जीवन के अंतिम वर्षों में जैन धर्म को अपनाया।
- चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में सबसे प्रामाणिक जानकारी मेगस्थनीज की पुस्तक “इंडिका” से मिलती है, जिसमें उनके शासन और राजधानी का विस्तृत वर्णन किया गया है।
- उनके समय में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन राज्य के नियंत्रण में था, जिससे राजकीय संपत्ति में वृद्धि हुई।
- उनके शासन के दौरान कई विश्वविद्यालयों और शिक्षा संस्थानों की स्थापना हुई, जहाँ प्रशासन, राजनीति, युद्धकला, चिकित्सा और दर्शनशास्त्र की शिक्षा दी जाती थी।
- चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में गुप्तचर विभाग (खुफिया तंत्र) अत्यधिक मजबूत था, जिसमें महिला जासूसों की भी नियुक्ति होती थी।
- उन्होंने यात्रियों और व्यापारियों के लिए धर्मशालाएँ और कुएँ बनवाए, जिससे लंबी यात्राएँ सुगम हो सकें।
- चंद्रगुप्त मौर्य की सेना में लोहे के हथियारों का सबसे अधिक उपयोग होता था, जिससे वे युद्ध में तकनीकी रूप से उन्नत थे।
- वे पहले भारतीय शासक थे जिन्होंने सभी नागरिकों के लिए कर व्यवस्था को व्यवस्थित किया, जिसमें किसानों, व्यापारियों और कारीगरों से अलग-अलग कर लिए जाते थे।
- उनके शासनकाल में महिलाओं के लिए अलग कानून व्यवस्था लागू की गई, जिससे उन्हें संपत्ति और सामाजिक अधिकार प्राप्त हुए।
- चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में पशुपालन और दुग्ध उद्योग को बढ़ावा दिया गया, जिससे आम जनता की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।
- उन्होंने राज्य की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर किले और प्रहरी चौकियाँ स्थापित कीं, जिससे विदेशी आक्रमणों को रोका जा सके।
- चंद्रगुप्त मौर्य के समय सभी प्रमुख राजमार्गों पर कर संग्रह केंद्र स्थापित किए गए, जहाँ से गुजरने वाले व्यापारियों से कर वसूला जाता था।
- उन्होंने पहली बार राज्य के अंतर्गत “नगर पालिका” की स्थापना की, जो नगरों की सफाई, जल आपूर्ति और प्रशासन का कार्य देखती थी।
- उनके शासनकाल में पहली बार बंधुआ मजदूरी (Forced Labor) को समाप्त किया गया, जिससे समाज में समानता आई।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने राजकीय कर्मचारियों के वेतनमान को तय किया, जिससे प्रशासन में भ्रष्टाचार कम हुआ।
- उनके शासन में “न्यायालय प्रणाली” को तीन स्तरों में विभाजित किया गया – स्थानीय, प्रांतीय और केंद्रीय न्यायालय।
- उन्होंने पहली बार “लोक निर्माण विभाग” की स्थापना की, जो सड़कों, पुलों और भवनों के निर्माण का कार्य करता था।
- उनके शासन में शिकार पर प्रतिबंध लगाया गया था, ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में हथकरघा और वस्त्र उद्योग अत्यधिक विकसित हुआ, जिससे भारतीय कपड़ों की माँग विदेशों में बढ़ी।
- वे पहले भारतीय शासक थे जिन्होंने साम्राज्य को चार प्रमुख प्रांतों में विभाजित किया – उत्तरी, पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी।
- उन्होंने बौद्ध और जैन भिक्षुओं को संरक्षण दिया, जिससे ये धर्म आगे विकसित हो सके।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने अफगानिस्तान, ईरान और ग्रीस के साथ व्यापार संबंध स्थापित किए, जिससे भारतीय मसाले, वस्त्र और धातु विदेशों तक पहुँचे।
- उनके शासनकाल में राजकीय खेती (State Farming) की शुरुआत हुई, जिसमें कुछ भूमि पर सरकार द्वारा सीधा कृषि उत्पादन किया जाता था।
- उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर वृक्षारोपण को अनिवार्य किया, जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहे।
- उनके काल में अश्व चिकित्सा (Veterinary Science) पर विशेष ध्यान दिया गया, जिससे घोड़ों और हाथियों की देखभाल अच्छी तरह की जाती थी।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने विशाल पुस्तकालयों की स्थापना की, जहाँ वेद, पुराण और अन्य ग्रंथ सुरक्षित रखे जाते थे।
- उन्होंने हथियारों के निर्माण के लिए विशेष कार्यशालाएँ स्थापित कीं, जिससे सेना को हमेशा नवीनतम शस्त्र उपलब्ध हो सकें।
- उनके शासनकाल में “राजकीय डाक सेवा” की शुरुआत हुई, जिससे सरकारी संदेश तेज़ी से संचारित किए जा सकें।
- उन्होंने “सिंचाई विभाग” की स्थापना की, जो नहरों, तालाबों और जल संचयन की देखरेख करता था।
- चंद्रगुप्त मौर्य के समय राजकीय खजाने को सुरक्षित रखने के लिए गुप्त भूमिगत कोषागार बनाए गए, जिससे युद्ध या आपातकाल में धन सुरक्षित रहे।
- वे पहले भारतीय सम्राट थे जिन्होंने दंड संहिता (Penal Code) लागू की, जिसमें अपराधों के लिए कठोर दंड निर्धारित किए गए थे।
- उन्होंने मौर्य सिक्कों पर विशेष प्रतीक अंकित करवाए, जिससे उनकी मुद्रा को पहचानने में आसानी होती थी।
- चंद्रगुप्त मौर्य के काल में राजकीय घुड़सालें (State Stables) स्थापित की गईं, जहाँ सेना के लिए प्रशिक्षित घोड़े तैयार किए जाते थे।
- उनके शासन में “राजकीय निर्माण विभाग” की स्थापना हुई, जो भवनों, सड़कों, पुलों और नहरों के निर्माण कार्यों को देखता था।
- वे पहले शासक थे जिन्होंने सैन्य और नागरिक प्रशासन को पूर्णतः अलग किया, जिससे प्रशासनिक दक्षता बढ़ी।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने बुजुर्गों और अपंगों के लिए विशेष सहायता योजनाएँ शुरू कीं, जिससे समाज के कमजोर वर्गों को समर्थन मिला।
- उनके शासनकाल में पहली बार जंगली जानवरों के संरक्षण के लिए कानून बनाए गए, जिससे वन्यजीवों का शिकार नियंत्रित हो सके।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुगम बनाने के लिए मुद्रा प्रणाली को सरल और सुलभ बनाया।
- वे पहले शासक थे जिन्होंने भारत में नौसेना की नींव रखी, जिससे जलमार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकी।
- चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में विभिन्न देशों के राजदूत आते थे, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध ग्रीक राजदूत मेगस्थनीज था।
- उन्होंने ग्राम प्रशासन को मजबूत किया, जिसमें प्रत्येक गाँव का नेतृत्व एक ग्राम प्रधान (ग्रामिक) करता था।
- उनके शासनकाल में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्गों पर सुरक्षा बढ़ाई गई, जिससे व्यापार में कोई व्यवधान न आए।
- चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने शासन के अंतिम वर्षों में जैन धर्म अपना लिया और आचार्य भद्रबाहु के शिष्य बन गए।
- उनके शासनकाल में महिला सुरक्षा को बढ़ावा दिया गया, जिसमें महिलाओं के लिए अलग से न्यायालय बनाए गए थे।