चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) की विस्तृत जानकारी
1. जन्म एवं परिवार
- जन्म: 375 ई. (अनुमानित)
- पिता: समुद्रगुप्त
- माता: दत्तादेवी
- पुत्र: कुमारगुप्त प्रथम
- पत्नी: कुबेरनागा (नागवंशी राजकुमारी)
- राजवंश: गुप्त वंश
2. उपाधि एवं विशेषताएँ
- उन्होंने “विक्रमादित्य” की उपाधि धारण की।
- उनके शासनकाल को गुप्त काल का स्वर्ण युग कहा जाता है।
- वे एक महान योद्धा, प्रशासक और कला-संस्कृति प्रेमी शासक थे।
3. प्रमुख युद्ध
- शकों पर विजय (गुप्त-शक संघर्ष) – 388-409 ई.
- चंद्रगुप्त द्वितीय ने पश्चिमी क्षत्रपों (शकों) को पराजित किया।
- शक शासक रुद्रसेन द्वितीय को हराकर उज्जयिनी एवं माळवा क्षेत्र पर अधिकार कर लिया।
- इस विजय के बाद उन्होंने उज्जैन को अपनी दूसरी राजधानी बनाया।
- कश्मीर और गांधार पर अधिकार
- उनके शासनकाल में गुप्त साम्राज्य कश्मीर और गांधार तक विस्तारित हुआ।
- पुष्यमित्रों पर विजय
- चंद्रगुप्त द्वितीय ने पूर्वी भारत में पुष्यमित्रों को पराजित किया।
4. उनसे जुड़े प्रमुख व्यक्ति
- कालिदास: प्रसिद्ध संस्कृत कवि एवं नाटककार (चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक)।
- वराहमिहिर: महान खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ।
- अमरसिंह: संस्कृत व्याकरणाचार्य और “अमरकोश” के रचयिता।
- धन्वंतरि: आयुर्वेदाचार्य।
- शंकु: वास्तुशास्त्री।
- बेतालभट्ट: साहित्यकार।
- घटकर्पर: राजनीतिक सलाहकार।
- वररुचि: व्याकरणज्ञ।
- विशाखदत्त: लेखक, जिन्होंने “मुद्राराक्षस” लिखा।
5. चंद्रगुप्त द्वितीय से जुड़े ग्रंथ/पुस्तकें
- कालिदास द्वारा लिखित ग्रंथ:
- अभिज्ञानशाकुंतलम्
- मेघदूतम्
- रघुवंशम्
- कुमारसंभवम्
- अमरकोश: अमरसिंह द्वारा लिखा गया।
- बृहतसंहिता: वराहमिहिर द्वारा लिखा गया।
6. उनसे जुड़े मंदिर एवं स्थापत्य कला
- उदयगिरि की गुफाएँ (मध्य प्रदेश)
- यहाँ भगवान विष्णु का “वराह अवतार” शिलाचित्र है।
- इसे चंद्रगुप्त द्वितीय की उपलब्धि माना जाता है।
- सांची स्तूप (मध्य प्रदेश)
- गुप्तकाल में इसका पुनर्निर्माण किया गया।
- देवगढ़ का दशावतार मंदिर (उत्तर प्रदेश)
- विष्णु को समर्पित मंदिर, गुप्तकाल की वास्तुकला का उदाहरण।
- एरण स्तंभलेख (मध्य प्रदेश)
- गुप्तकाल का महत्वपूर्ण शिलालेख, जो संस्कृत में लिखा गया है।
7. प्रशासनिक एवं आर्थिक सुधार
- स्वर्ण मुद्रा (गोल्ड कॉइन) जारी किए, जिन पर “चंद्रगुप्त विक्रमादित्य” अंकित था।
- गुप्तकालीन सिक्कों पर शेर, गरुड़, अर्जुन और वाणासुर का चित्रण मिलता है।
- व्यापार और कृषि को बढ़ावा दिया, जिससे गुप्त काल में आर्थिक समृद्धि आई।
8. विशेष स्थल एवं नगर
- पाटलिपुत्र: गुप्त साम्राज्य की प्रमुख राजधानी।
- उज्जयिनी: शकों की पराजय के बाद इसे दूसरी राजधानी बनाया।
- कौशांबी: गुप्तकालीन व्यापारिक केंद्र।
- नालंदा विश्वविद्यालय: उनके शासनकाल में इसकी ख्याति बढ़ी।
9. विदेशी यात्रियों का वर्णन
- फाह्यान (चीन से आया बौद्ध यात्री) ने उनके शासनकाल की समृद्धि और शांति का वर्णन किया है।
- फाह्यान ने लिखा कि “भारत में कानून व्यवस्था अच्छी थी, लोग खुशहाल थे और गुप्त शासन न्यायप्रिय था।”
10. चंद्रगुप्त द्वितीय की मृत्यु
- मृत्यु: 415 ई. (अनुमानित)
- स्थान: पाटलिपुत्र (वर्तमान बिहार)
- उनके बाद उनके पुत्र कुमारगुप्त प्रथम ने गुप्त साम्राज्य संभाला।
निष्कर्ष
चंद्रगुप्त द्वितीय ने भारत के इतिहास में स्वर्ण युग की स्थापना की। उनके शासनकाल में कला, साहित्य, विज्ञान और प्रशासन में अपार उन्नति हुई। उन्होंने शकों को हराकर भारतीय संस्कृति को सुरक्षित किया और गुप्त साम्राज्य को भारत का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य बनाया।