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गयासुद्दीन बलबन (1266-1287 ई.) – दिल्ली सल्तनत का सुल्तान
परिचय
- पूरा नाम: गयासुद्दीन बलबन
- वंश: गुलाम वंश (ममलूक वंश)
- राज्यकाल: 1266-1287 ई. (21 वर्ष)
- पिता: अज्ञात (एक तुर्क गुलाम परिवार से था)
- मृत्यु: 1287 ई.
गयासुद्दीन बलबन का उत्थान और सत्ता प्राप्ति
- बलबन का जन्म एक तुर्की गुलाम के रूप में हुआ था।
- उसे इल्तुतमिश ने खरीदा और उसे एक प्रतिष्ठित अधिकारी बना दिया।
- बाद में वह नसीरुद्दीन महमूद (1246-1266 ई.) के शासनकाल में वज़ीर (प्रधान मंत्री) बना।
- 1266 ई. में नसीरुद्दीन महमूद की मृत्यु के बाद बलबन खुद सुल्तान बना।
गयासुद्दीन बलबन का साम्राज्य
- बलबन का साम्राज्य उत्तर भारत के बड़े हिस्से में फैला था।
- उसके नियंत्रण में दिल्ली, पंजाब, बंगाल, बिहार, दोआब, राजस्थान के कुछ हिस्से और सिंध शामिल थे।
- उसने मंगोल आक्रमणों को रोका और दिल्ली सल्तनत को मजबूत किया।
गयासुद्दीन बलबन के प्रमुख युद्ध और विद्रोह
1. मंगोल आक्रमण (1279 ई.)
- मंगोलों ने कई बार दिल्ली पर हमला करने की कोशिश की।
- बलबन ने मुल्तान और लाहौर में मजबूत किले बनवाए और मंगोलों को भारत में घुसने से रोका।
2. बंगाल में विद्रोह (1280 ई.)
- बंगाल के गवर्नर तुगरिल ने विद्रोह कर दिया।
- बलबन ने अपनी सेना भेजकर तुगरिल को हराया और उसे मार डाला।
3. मेवात और दोआब में विद्रोह (1270-1285 ई.)
- मेवात और दोआब क्षेत्र के राजाओं ने विद्रोह किया।
- बलबन ने विद्रोहियों का दमन कर दिया और शासन को मजबूत किया।
गयासुद्दीन बलबन के प्रमुख कार्य और नीतियाँ
1. ‘नियाज’ और ‘सिजदा’ प्रथा लागू की
- बलबन ने राजा को ईश्वर का प्रतिनिधि माना।
- उसने दरबार में ‘नियाज’ (सुल्तान के सामने सिर झुकाना) और ‘सिजदा’ (जमीन पर माथा टेकना) की परंपरा लागू की।
2. शक्तिशाली नौकरशाही व्यवस्था
- बलबन ने सामंतों और अमीरों की शक्ति को कमजोर किया।
- उसने अपने दरबार में सिर्फ तुर्की अमीरों को ऊँचे पदों पर रखा।
3. जमींदारों और विद्रोहियों का दमन
- उसने राजस्थान, दोआब और पंजाब के विद्रोहों को कुचल दिया।
- खासतौर पर मेवातियों को पूरी तरह से दबा दिया।
4. मंगोलों के विरुद्ध मजबूत रक्षा प्रणाली
- बलबन ने दिल्ली और पंजाब की सीमाओं पर मजबूत किले बनवाए।
- मुल्तान, लाहौर और सिंध में घुड़सवार सेना को तैनात किया।
गयासुद्दीन बलबन का साहित्य और दरबारी कवि
- बलबन के शासनकाल में फारसी साहित्य को बहुत बढ़ावा मिला।
- प्रमुख लेखक और इतिहासकार:
- मिन्हाज-ए-सिराज – तबकात-ए-नासिरी (गुलाम वंश का इतिहास लिखा)
- अमीर खुसरो – बाद में खिलजी शासन के दौरान प्रसिद्ध हुए
- हसन निज़ामी – ताज-उल-मासिर (गुलाम वंश का इतिहास)
- जियाउद्दीन बरनी – तारीख-ए-फिरोजशाही (बलबन और खिलजी काल का विस्तृत वर्णन)
गयासुद्दीन बलबन की स्थापत्य कला और निर्माण कार्य
- बलबन ने कोई बड़ा स्मारक नहीं बनवाया, लेकिन उसने कई किलों और मस्जिदों का निर्माण कराया।
- प्रमुख निर्माण कार्य:
- दिल्ली में बलबन का मकबरा – यह भारत में पहली बार ‘अर्धगोलाकार मेहराब’ (true arch) के प्रयोग का उदाहरण है।
- मुल्तान और लाहौर में किले – मंगोलों से बचाव के लिए बनाए गए।
- दिल्ली में कई मस्जिदों का निर्माण कराया।
गयासुद्दीन बलबन का अंत
- 1285 ई. में मंगोलों से लड़ते हुए बलबन का बेटा मुहम्मद मारा गया।
- बलबन इस सदमे को सहन नहीं कर सका और 1287 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
- उसके बाद कैखुसरो को उत्तराधिकारी बनाया गया, लेकिन बाद में जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने सत्ता हथिया ली।
निष्कर्ष
- गयासुद्दीन बलबन दिल्ली सल्तनत का सबसे शक्तिशाली गुलाम शासक था।
- उसने मंगोलों को रोका, साम्राज्य को मजबूत किया और विद्रोहियों को कुचल दिया।
- उसने ‘नियाज’ और ‘सिजदा’ की परंपरा शुरू करके शाही शक्ति को बढ़ाया।
- उसके शासनकाल में फारसी साहित्य और प्रशासनिक प्रणाली मजबूत हुई।
- उसकी मृत्यु के बाद गुलाम वंश कमजोर हो गया और जल्द ही खिलजी वंश ने सत्ता संभाल ली।