अशोक – मौर्य साम्राज्य का महान सम्राट
1. अशोक कौन था?
अशोक मौर्य साम्राज्य का सबसे प्रसिद्ध सम्राट था, जिसे “देवानामप्रिय” और “प्रियदर्शी” भी कहा जाता है। वह बिंदुसार का पुत्र और चंद्रगुप्त मौर्य का पौत्र था।
2. अशोक ने किसको हराकर सत्ता प्राप्त की?
अशोक ने अपने भाइयों को हराकर सत्ता प्राप्त की। बिंदुसार की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार का संघर्ष हुआ, जिसमें अशोक ने तख्त के प्रमुख दावेदारों को हराकर 268 ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट बना।
3. अशोक का साम्राज्य कब से कब तक था?
अशोक ने 268 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक शासन किया।
4. अशोक का साम्राज्य कहां से कहां तक फैला था?
अशोक का साम्राज्य भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान तक फैला था। यह उत्तर में हिमालय, दक्षिण में कर्नाटक तक, पश्चिम में अफगानिस्तान और पूर्व में बंगाल व असम तक विस्तृत था।
5. अशोक ने कौन-कौन से युद्ध लड़े?
- कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व): अशोक ने ओडिशा के कलिंग राज्य को जीतने के लिए यह युद्ध लड़ा।
- यह युद्ध इतना भयानक था कि हजारों सैनिक और नागरिक मारे गए।
- इस युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और अहिंसा का मार्ग अपनाया।
6. अशोक के अच्छे कार्य
- धार्मिक सहिष्णुता: सभी धर्मों का सम्मान किया और बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया।
- अस्पताल और धर्मशालाएँ: आम जनता के लिए अस्पताल, कुएँ और विश्राम गृह बनवाए।
- सड़क और यातायात सुधार: पूरे साम्राज्य में सड़कों और वृक्षारोपण का कार्य किया।
- न्याय प्रणाली: नागरिकों को न्याय देने के लिए “धम्म” नीति लागू की।
- दूत भेजना: श्रीलंका, ग्रीस, मिस्र आदि देशों में बौद्ध धर्म प्रचार के लिए दूत भेजे।
7. अशोक की मृत्यु कैसे हुई?
- 232 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र में अशोक की मृत्यु हुई।
- कुछ ग्रंथों के अनुसार, अंतिम समय में अशोक अकेले और निर्धन हो गए थे।
8. अशोक के पुत्र-पुत्रियाँ और परिवार
- पुत्र: महेंद्र (श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार किया)।
- पुत्री: संघमित्रा (श्रीलंका में बोधि वृक्ष लेकर गई और बौद्ध धर्म फैलाया)।
- अशोक की कई रानियाँ थीं, जिनमें देवी, पद्मावती और तिष्यरक्षिता प्रमुख थीं।
9. अशोक से जुड़ी विशेष बातें
- अशोक ने अपने शिलालेखों और स्तंभों में प्रजा को नैतिकता और अहिंसा का संदेश दिया।
- उसने बौद्ध संघों की सहायता की और बौद्ध धर्म को राजधर्म बना दिया।
- उसका सबसे प्रसिद्ध शिलालेख गिरनार (गुजरात) में है, जहाँ उसने अपने धम्म नीति की व्याख्या की।
10. अशोक के समय लिखी गई पुस्तकें
- दीपवंश और महावंश (श्रीलंका में अशोक के धर्म-प्रचार की जानकारी)।
- अशोकवदन (अशोक के जीवन और उसके कार्यों का विवरण)।
- दिव्यावदान (बौद्ध धर्म ग्रंथ, जिसमें अशोक की दानशीलता का वर्णन है)।
11. अशोक का धार्मिक और आध्यात्मिक विकास
- बौद्ध धर्म का संरक्षक बना और स्वयं बौद्ध भिक्षु बन गया।
- धम्म नीति अपनाई, जो सत्य, अहिंसा और करुणा पर आधारित थी।
- बौद्ध परिषदों का आयोजन किया और श्रीलंका, ग्रीस, मिस्र आदि में बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
12. अशोक को क्या अलग बनाता है?
- अशोक पहला शासक था जिसने युद्ध जीतकर उसे त्याग दिया और अहिंसा को अपनाया।
- उसने “धम्म” नामक नीति लागू की, जो सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर आधारित थी।
- उसका शासन एकीकृत प्रशासन और जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए प्रसिद्ध था।
- वह दुनिया का पहला सम्राट था जिसने पशु चिकित्सा और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया।
13. अशोक के साम्राज्य के वर्तमान स्थान
आज अशोक का साम्राज्य भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान के क्षेत्रों में विभाजित है।
14. अशोक से जुड़ी महत्वपूर्ण निशानियाँ
- अशोक स्तंभ (सारनाथ, लौरिया नंदनगढ़, दिल्ली, रामपुरवा आदि)
- अशोक का धर्मचक्र (राष्ट्रीय ध्वज में स्थान पाया)
- अशोक के शिलालेख (गिरनार, धौली, शाहबाजगढ़ी, मानसेरा, सोपारा आदि)
- अशोक की लाट (सांची, सारनाथ, वैशाली आदि में स्थित)
अशोक से जुड़ी रोचक सामान्य ज्ञान की बातें
- सांची के तोरणद्वार – अशोक ने सांची स्तूप के चारों ओर सुंदर नक्काशीदार तोरणद्वार बनवाए, जो बौद्ध जीवन को दर्शाते हैं।
- बोधगया स्तूप – अशोक ने महाबोधि मंदिर क्षेत्र में एक स्तूप का निर्माण करवाया, जो बाद में विकसित हुआ।
- शाहबाजगढ़ी शिलालेख – पाकिस्तान में स्थित इस शिलालेख में अशोक के धम्म संदेश अंकित हैं।
- मानसेहरा शिलालेख – पाकिस्तान में स्थित इस शिलालेख में अशोक के धार्मिक आदेश लिखे गए हैं।
- गिरनार शिलालेख – गुजरात में स्थित इस शिलालेख में अशोक के प्रशासन और धम्म नीति का उल्लेख है।
- धौली शिलालेख – ओडिशा में स्थित यह शिलालेख अशोक के कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा नीति अपनाने का प्रमाण है।
- जौगड़ा शिलालेख – ओडिशा में स्थित इस अभिलेख में अशोक के धम्म प्रचार का वर्णन है।
- सोपारा शिलालेख – महाराष्ट्र में स्थित इस शिलालेख से अशोक के पश्चिमी भारत में प्रभाव का पता चलता है।
- एर्रागुडी शिलालेख – आंध्र प्रदेश में स्थित यह शिलालेख अशोक के दक्षिण भारत में प्रभाव को दर्शाता है।
- अशोक के स्तंभों की पॉलिशिंग – अशोक के स्तंभों की चमकदार पॉलिशिंग इतनी उत्कृष्ट थी कि वे आज भी चमकते हैं।
- धम्म प्रचार के लिए स्तूपों का निर्माण – अशोक ने पूरे भारत में 84,000 स्तूपों के निर्माण का आदेश दिया था।
- पाटलिपुत्र महल – अशोक ने अपने पूर्वजों द्वारा निर्मित पाटलिपुत्र के महल को और भव्य बनाया, जो लकड़ी और पत्थर का मिश्रण था।
- अशोक द्वारा बनाए गए विहार (मठ) – बौद्ध भिक्षुओं के लिए कई मठों का निर्माण हुआ, जो शिक्षा और ध्यान के केंद्र बने।
- ताम्रलिप्ति बंदरगाह का विकास – अशोक के शासन में इस प्राचीन बंदरगाह को व्यापार और यात्रियों के लिए विकसित किया गया।
- अशोक के शिलालेखों में गुफा चित्रकारी – बाराबर और नागार्जुनी गुफाओं में सुंदर उत्कीर्णन और चित्रकारी के प्रमाण मिलते हैं।
- सांची स्तूप – मध्य प्रदेश में स्थित यह विशाल स्तूप अशोक द्वारा बनवाया गया सबसे प्रसिद्ध बौद्ध स्मारक है।
- धमेक स्तूप – उत्तर प्रदेश के सारनाथ में स्थित यह स्तूप बौद्ध धर्म के प्रचार का प्रतीक है।
- सारनाथ का अशोक स्तंभ – भारत का राष्ट्रीय प्रतीक, इस स्तंभ के शीर्ष पर चार सिंहों की मूर्ति बनी है।
- लौरीया नंदनगढ़ स्तंभ – बिहार में स्थित यह अशोक स्तंभ उत्कृष्ट पॉलिशिंग कला का उदाहरण है।
- रुम्मिनदेई स्तंभ – नेपाल के लुंबिनी में स्थित यह स्तंभ बुद्ध के जन्मस्थल की पुष्टि करता है।
- वैशाली का अशोक स्तंभ – बिहार के वैशाली में स्थित इस स्तंभ पर बौद्ध धर्म से जुड़े शिलालेख हैं।
- अशोक के शिलालेख – भारत, नेपाल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पाए गए इन अभिलेखों पर ब्राह्मी लिपि में धम्म संदेश खुदे हैं।
- बाराबर गुफाएँ – बिहार में स्थित ये गुफाएँ प्राचीनतम शिलाचित्रित गुफाएँ हैं, जो आज भी अच्छी स्थिति में हैं।
- निगली सागर स्तंभ – नेपाल में स्थित इस स्तंभ पर अशोक के बौद्ध धर्म अपनाने का उल्लेख मिलता है।
- अशोक के महाविहार – बौद्ध भिक्षुओं के लिए कई महाविहारों (मठों) का निर्माण करवाया, जिनमें नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों का विकास हुआ।
- अशोक को “देवानामप्रिय” और “प्रियदर्शी” (भगवान का प्रिय और सुंदर दिखने वाला) कहा जाता था।
- कलिंग युद्ध में हुई तबाही देखकर अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और अहिंसा का मार्ग अपनाया।
- अशोक दुनिया का पहला शासक था, जिसने पशु चिकित्सा और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया।
- उसने बौद्ध धर्म को श्रीलंका, अफगानिस्तान, मिस्र, ग्रीस और एशियाई देशों तक पहुँचाया।
- अशोक ने 84,000 बौद्ध स्तूपों का निर्माण करवाया, जिनमें सांची स्तूप सबसे प्रसिद्ध है।
- उसके आदेशों को शिलालेखों और स्तंभों पर ब्राह्मी लिपि में खुदवाया गया।
- अशोक बुद्ध के धम्म को राजधर्म मानने वाला पहला भारतीय सम्राट था।
- अशोक का “सारनाथ का सिंह स्तंभ” भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है।
- उसने बौद्ध संघों की सहायता के लिए राजकीय संरक्षण प्रदान किया और बौद्ध परिषदों का आयोजन करवाया।
- अशोक के समय में राजकीय अधिकारियों को “धर्ममहामात्र” कहा जाता था।
- अशोक ने सभी नागरिकों के लिए समान न्याय और नैतिकता पर आधारित प्रशासन लागू किया।
- उसके स्तंभों पर संस्कृत और ग्रीक भाषाओं में भी शिलालेख पाए गए हैं।
- अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा।
- उसके शासन में पहली बार अस्पतालों और वृक्षारोपण की व्यवस्था की गई।
- अशोक इतिहास का पहला सम्राट था, जिसने जानवरों की हत्या पर प्रतिबंध लगाया।
- उसने यात्रियों और व्यापारियों के लिए सड़कों और सरायों का निर्माण करवाया।
- अशोक धर्म प्रचार के लिए विदेशी राजाओं को दूत भेजने वाला पहला भारतीय शासक था।
- उसके आदेश से नदियों के किनारे चिकित्सालय और कुएँ खुदवाए गए।
- अशोक के शासनकाल में मौर्य साम्राज्य का क्षेत्रफल अपने चरम पर था।
- उसकी मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य कमजोर पड़ने लगा और अंततः समाप्त हो गया
- अशोक के शिलालेखों में “धम्म” (नीति) शब्द का कई बार उल्लेख किया गया है, जिसका अर्थ नैतिकता और अहिंसा से जुड़ा है।
- अशोक ने अपने प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी को भी बढ़ावा दिया था।
- उसके शासनकाल में राजकीय मार्गों के किनारे छायादार वृक्ष, कुएँ और विश्राम गृह बनाए गए।
- अशोक के द्वारा बनाए गए स्तूपों में धातु, पत्थर और लकड़ी का उपयोग किया गया।
- उसने जनता के लिए मुफ्त चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध करवाईं, जो उस समय एक अनोखी पहल थी।
- अशोक के शिलालेख ब्राह्मी, खरोष्ठी, ग्रीक और अरामाइक भाषाओं में मिले हैं।
- अशोक के शासनकाल में पहली बार कृषि कर में सुधार किया गया, जिससे किसानों को राहत मिली।
- उसने यूनान, रोम, मिस्र और ईरान के शासकों के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित किए।
- अशोक ने पालि भाषा को राजकीय संचार के लिए अपनाया, ताकि आम लोग भी उसे समझ सकें।
- उसके कई शिलालेखों में अहिंसा, सत्य और करुणा के महत्व पर जोर दिया गया है।
- अशोक ने भिक्षुओं और संतों के लिए “विहार” (मठ) बनवाए, जिनमें बौद्ध शिक्षा दी जाती थी।
- उसने राज्य में जंगली जानवरों के शिकार पर प्रतिबंध लगाया और कई अभयारण्यों की स्थापना की।
- अशोक के धम्म महामात्र प्रशासनिक अधिकारी थे, जो जनता को नैतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करते थे।
- उसका प्रशासन व्यवस्थित था, जिसमें कर संग्रह, न्याय प्रणाली और कानून-व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया।
- अशोक की धर्मनीति में हिंसा, मांसाहार और युद्ध के प्रति घृणा का प्रचार किया गया था।
- अशोक ने यात्रियों और व्यापारियों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रहरी तैनात किए।
- उसके समय में गुप्तचरों का एक मजबूत नेटवर्क था, जो साम्राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित करता था।
- अशोक के शिलालेखों में महिलाओं और कमजोर वर्गों के अधिकारों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।
- उसने जनता को नैतिकता सिखाने के लिए शिक्षकों और विद्वानों की नियुक्ति की।
- अशोक इतिहास में एकमात्र भारतीय सम्राट था, जिसने युद्ध के बाद अपनी नीति को पूरी तरह बदल दिया।
- उसने बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने के लिए तीसरी बौद्ध संगीति (council) का आयोजन किया।
- अशोक के द्वारा भेजे गए बौद्ध मिशनरियों ने तत्कालीन ग्रीक और मिस्र की सभ्यताओं को भी प्रभावित किया।
- उसने प्रशासनिक सुधारों के तहत राज्य के प्रत्येक हिस्से में स्थानीय शासकों को अधिक अधिकार दिए।
- अशोक ने जनकल्याणकारी कार्यों के तहत शिक्षा, चिकित्सा और कृषि विकास पर विशेष ध्यान दिया।
- उसने धम्म प्रचार के लिए पत्थरों और स्तंभों पर अपने आदेश खुदवाए, ताकि वे लंबे समय तक सुरक्षित रहें।
- अशोक का सबसे प्रसिद्ध स्तंभ सारनाथ में स्थित है, जिस पर चार सिंहों की आकृति उकेरी गई है।
- उसकी “धम्म नीति” ने बाद के भारतीय शासकों पर गहरा प्रभाव डाला, विशेष रूप से गुप्त काल में।
- अशोक के समय में शिक्षा का स्तर ऊँचा था और नालंदा तथा तक्षशिला जैसी शिक्षा संस्थाएँ प्रसिद्ध थीं।
- उसकी शासन नीति इतनी प्रभावी थी कि वह आधुनिक प्रशासनिक ढाँचे का भी आधार बनी।
- अशोक पहला भारतीय शासक था, जिसने ‘धर्म विजय’ (शांति और नैतिकता की जीत) की अवधारणा दी।
- अशोक के शासनकाल में अंतरराष्ट्रीय व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बहुत तेजी से बढ़ा।
- उसके द्वारा निर्मित सड़कें साम्राज्य को जोड़ने और व्यापार को सुगम बनाने में सहायक थीं।
- अशोक के समय में शाही डाक व्यवस्था थी, जिसमें घुड़सवार संदेशवाहक काम करते थे।
- उसने पहली बार “पशु क्रूरता विरोधी कानून” लागू किए और कसाईखानों को नियंत्रित किया।
- अशोक ने बुद्ध के अवशेषों को विभाजित कर कई स्तूपों में स्थापित कराया।
- उसने कलिंग विजय के बाद कलिंग क्षेत्र के पुनर्निर्माण पर विशेष ध्यान दिया।
- अशोक की “धम्म विजय” नीति का उद्देश्य युद्ध के बजाय नैतिकता और सद्भाव को बढ़ावा देना था।
- उसने सम्राट होते हुए भी बहुत सादा जीवन जिया और राजसी वैभव को त्याग दिया।
- अशोक के समय में राज्य द्वारा कृषि, जल प्रबंधन और सिंचाई प्रणाली को मजबूत किया गया।
- उसके आदेशों के अनुसार हर गांव में चिकित्सकों और हर्बल औषधियों की व्यवस्था की गई।
- उसने यात्रियों और गरीबों के लिए धर्मशालाएँ बनवाईं और मुफ्त भोजन की व्यवस्था करवाई।
- अशोक के शासनकाल में पहली बार जनता की शिकायतें सुनने के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त किए गए।
- उसने श्रमिकों और किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई नीतियाँ लागू कीं।
- उसके द्वारा प्रचारित बौद्ध धर्म “थेरवाद” और “महायान” शाखाओं में विभाजित हुआ।
- अशोक ने अपने धर्म प्रचारकों को दक्षिण भारत, श्रीलंका, चीन और तिब्बत तक भेजा।
- उसने संन्यासियों और साधुओं को सरकारी सहायता प्रदान की।
- उसके समय में राज्य में अपराध दर बहुत कम हो गई थी।
- अशोक ने अपने प्रशासन में ईमानदारी और नैतिकता को सर्वोपरि रखा।
- उसने पहली बार भारतीय उपमहाद्वीप में एकीकृत प्रशासनिक प्रणाली लागू की।
- अशोक के शासनकाल में महिला अधिकारों को बढ़ावा देने के कई प्रयास किए गए।
- उसने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों पर आधारित सामाजिक सुधारों की पहल की।
- अशोक का प्रभाव भारत के बाहर भी था, जिसे उसके अभिलेखों से समझा जा सकता है।
- उसके शासनकाल में कला और स्थापत्य कला का बहुत विकास हुआ।
- उसने पहली बार दास प्रथा पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया।
- अशोक के समय में युद्ध की जगह सामाजिक सुधारों को अधिक महत्व दिया गया।
- उसके शासनकाल में बौद्ध ग्रंथों का संकलन और प्रचार हुआ।
- उसने बौद्ध संघों को राजकीय संरक्षण दिया और उनके लिए अनुदान की व्यवस्था की।
- अशोक के समय की कई नीतियाँ आधुनिक प्रशासन के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
- उसने यात्रा मार्गों पर पीने के पानी के लिए कुएँ खुदवाए और वृक्षारोपण करवाया।
- अशोक ऐसा पहला राजा था, जिसने अपने आदेशों को आम जनता तक पहुँचाने के लिए संचार व्यवस्था विकसित की।
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