अलाउद्दीन खिलजी

अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ई.) – दिल्ली सल्तनत का महान विस्तारवादी शासक

परिचय

  • पूरा नाम: अली गुरशास्प (शासन के बाद अलाउद्दीन खिलजी कहलाया)
  • वंश: खिलजी वंश
  • राज्यकाल: 1296-1316 ई.
  • पिता: शकदर खान
  • पत्नी: मलिका-ए-जहाँ (जलालुद्दीन फिरोज खिलजी की बेटी)
  • मृत्यु: 1316 ई. (बीमारी के कारण)

अलाउद्दीन खिलजी का दिल्ली की गद्दी पर बैठना

  • अलाउद्दीन खिलजी जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का भतीजा और दामाद था।
  • 1296 ई. में गुजरात विजय के बाद, उसने अपने चाचा जलालुद्दीन फिरोज खिलजी को धोखे से मार दिया
  • इसके बाद, उसने दिल्ली पर चढ़ाई की और खुद को दिल्ली का सुल्तान घोषित किया

अलाउद्दीन खिलजी का साम्राज्य और प्रमुख युद्ध

अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में कई युद्ध लड़े और दिल्ली सल्तनत का अब तक का सबसे बड़ा विस्तार किया

1. मंगोल आक्रमणों को विफल करना (1297-1306 ई.)

  • मंगोलों ने पंजाब, दिल्ली और गंगा क्षेत्र पर कई बार हमला किया
  • अलाउद्दीन ने अपने सेनापतियों उलूग खान और जफर खान की मदद से मंगोलों को हराया
  • मंगोलों की हार के बाद, उसने दिल्ली की सुरक्षा के लिए मजबूत किलेबंदी करवाई

2. गुजरात अभियान (1297-1298 ई.)

  • गुजरात के सोलंकी शासक कर्णदेव द्वितीय को हराकर गुजरात को जीत लिया
  • इस अभियान में सोमनाथ मंदिर को लूटा गया और मलिक काफूर नामक दास को पकड़ा गया, जो बाद में अलाउद्दीन का सेनापति बना।

3. रणथंभौर विजय (1301 ई.)

  • रणथंभौर के राजा हम्मीर देव चौहान को हराकर किला जीत लिया।

4. मेवाड़ और चित्तौड़ विजय (1303 ई.)

  • मेवाड़ के राजा रावल रतन सिंह को हराकर चित्तौड़ पर कब्जा कर लिया।
  • रानी पद्मिनी (पद्मावत) और अन्य राजपूत महिलाओं ने जौहर किया

5. मालवा और देवगढ़ विजय (1305 ई.)

  • मालवा के परमार राजाओं को हराकर इसे दिल्ली सल्तनत में मिला लिया

6. वारंगल और दक्षिण भारत पर आक्रमण (1309-1311 ई.)

  • उसके सेनापति मलिक काफूर ने वारंगल, देवगिरि, द्वारसमुद्र और मदुरै पर आक्रमण किया
  • पहली बार दक्षिण भारत को दिल्ली सल्तनत के अधीन किया गया
  • वारंगल से “कोहिनूर हीरा” प्राप्त हुआ

अलाउद्दीन खिलजी द्वारा किए गए प्रमुख कार्य

1. प्रशासनिक सुधार और कर प्रणाली

  • उसने “दाग” और “चेहरा” प्रणाली लागू की, जिससे सेना में भर्ती और वेतन का सही हिसाब रखा जा सके।
  • किसानों पर भूमि कर (खराज) बढ़ाया, जिससे राज्य की आय बढ़ी।
  • हिंदू व्यापारियों पर “जज़िया कर” लगाया

2. बाजार नियंत्रण और मूल्य निर्धारण नीति

  • उसने खाद्य पदार्थों, कपड़ों, घोड़ों और हथियारों की कीमत तय की
  • दिल्ली में मंडी व्यवस्था लागू की, जिससे आवश्यक वस्तुएँ सस्ती मिलें।
  • व्यापारी सरकारी नियमों के अनुसार ही सामान बेच सकते थे।

3. सैनिक सुधार और स्थायी सेना

  • उसने दिल्ली में एक स्थायी सेना बनाई
  • सैनिकों को सीधे वेतन देने की व्यवस्था की।

4. धर्म और राजनीति

  • उसने “सुल्तान ईश्वर का प्रतिनिधि नहीं, बल्कि खुद शक्ति का केंद्र है” की नीति अपनाई।
  • इस्लामी कट्टरता को बढ़ावा नहीं दिया, लेकिन हिंदुओं पर कर लागू रखा।

अलाउद्दीन खिलजी की स्थापत्य कला

  • अलाउद्दीन खिलजी ने कई मस्जिदें, किले और इमारतें बनवाईं
  • “अलाई दरवाजा” – कुतुब मीनार परिसर में स्थित सबसे सुंदर द्वार।
  • “सिरी किला” – दिल्ली में स्थित नया नगर और किला।
  • जामा मस्जिद, कोटला – दिल्ली में बनी एक महत्वपूर्ण मस्जिद।

अलाउद्दीन खिलजी से जुड़े प्रमुख साहित्य और पुस्तकें

  • उसके दरबार में अमीर खुसरो और हसन निज़ामी जैसे प्रसिद्ध लेखक और कवि थे
  • अमीर खुसरो ने
    • “तुगलकनामा”, “आशिका”, “नूह सिपिहर”, “खजाइन-उल-फुतूह” लिखीं।
  • हसन निज़ामी ने
    • “ताज-उल-मासिर” लिखी, जिसमें अलाउद्दीन खिलजी के युद्धों का वर्णन है।
  • जियाउद्दीन बरनी ने “तारीख-ए-फिरोजशाही” लिखी, जिसमें उसके प्रशासन का विवरण है।

अलाउद्दीन खिलजी से जुड़े प्रमुख व्यक्ति

  1. मलिक काफूर – दक्षिण भारत विजय का प्रमुख सेनापति।
  2. उलूग खान – मंगोलों के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख सेनापति।
  3. जफर खान – मंगोल आक्रमणों को रोकने में सहायक।
  4. अमीर खुसरो – प्रसिद्ध कवि और लेखक।
  5. हसन निज़ामी – दरबारी इतिहासकार।

अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु और उत्तराधिकारी

  • 1316 ई. में अलाउद्दीन खिलजी बीमार हो गया
  • उसके मंत्री मलिक काफूर ने उसकी सत्ता हथियाने की कोशिश की
  • 1316 ई. में अलाउद्दीन की मृत्यु हो गई
  • उसके बाद कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी ने गद्दी संभाली, लेकिन कुछ वर्षों बाद खिलजी वंश समाप्त हो गया।

निष्कर्ष

  • अलाउद्दीन खिलजी भारत का सबसे शक्तिशाली और कुशल शासक था
  • उसने दिल्ली सल्तनत का सबसे बड़ा विस्तार किया और मंगोलों को भारत में घुसने से रोका।
  • उसके प्रशासनिक सुधारों ने मुगल शासन तक प्रभाव डाला
  • स्थापत्य कला और साहित्य में भी उसका योगदान महत्वपूर्ण था
  • उसकी मृत्यु के बाद खिलजी वंश जल्द ही समाप्त हो गया और तुगलक वंश (1320 ई.) की शुरुआत हुई
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